बालासाहेब ठाकरे गोरेवाडा अंतरराष्ट्रीय प्राणी उद्यान की विभिन्न परियोजनाओं की स्थापना में उद्यमियों और स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त करें। प्राथमिकताएं निर्धारित कर कार्यों को समय पर पूरा करें। इस पार्क को पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बनाने का प्रयास करें। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह निर्देश संबंधित अधिकारियों को शुक्रवार को दिया।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को नागपुर स्थित बालासाहेब ठाकरे गोरेवाडा अंतर्राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक की। इस बैठक में राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विकास खारगे, वित्त विभाग के प्रधान सचिव ओ.पी. गुप्ता, वन विभाग के प्रधान सचिव वेणुगोपाल रेड्डी सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि उद्यमियों और स्थानीय लोगों की मदद से इस परियोजना की योजना बनाएं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न देशों के अंतरराष्ट्रीय पशु-पक्षियों को पार्क में लाया जाएगा। स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार और उद्योग के अवसर उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया जाए। पर्यटकों को आकर्षित करनेवाली सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए वन विकास प्राधिकरण समन्वय स्थापित करे। उद्यमियों और स्थानीय व्यापारियों आदि को साथ लिया जाए। समृद्धि महामार्ग पूरा होने जा रहा है। इसलिए पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अफ्रीकन सफारी, नाइट सफारी जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। यहां आदिवासी ग्राम तैयार करके आदिवासियों द्वारा उत्पादित माल के लिए एक बाजार स्थापित की जाए।
आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति पर्यटकों को पता चल सके इसलिए आदिवासी चित्रकला आदि का प्रस्तुतीकरण करने के लिए मंच उपलब्ध कराए जाएं। उन्हें रोजगार उपलब्ध हो सके ऐसे उपक्रम चलाए जाएं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यान पहले से ही नागपुर में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है, जिसमें जंगली जानवरों की विभिन्न प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में शामिल किया गया है। परियोजना के दूसरे चरण में अफ्रीकी सफारी, वॉक-इन एवियरी, ट्राइबल ट्रेल, वॉकिंग ट्रेल जैसी आकर्षक परियोजनाएं शामिल होंगी। इस परियोजना को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। नागपुर शहर से इसकी निकटता के कारण इस परियोजना से क्षेत्र में प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इस अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर में वन्यजीव संरक्षण, अनुसंधान और शिक्षा के साथ-साथ वन्यजीवों का पुनर्वास का भी काम किया जाएगा। प्राणी उद्यान देखने आनेवाले पर्यटकों के लिए पार्किंग, शौचालय, पेयजल, वाहन आदि की व्यवस्था की गई है।
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