केंद्र सरकार ने महान्यायवादी (अटॉनी जनरल) केके वेणुगोपाल का कार्यकाल एक साल और यानी 30 जून 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है। यह दूसरी बार है जब उनका कार्यकाल बढ़ाया गया है।

वेणुगोपाल ने 1954 में शुरू की थी बकालत
केके वेणुगोपाल को एक जूलाई 2017 को तीन साल के लिए अटार्नी जनरल नियुक्ति किया गया था। वेणुगोपाल को मुकुल रोहतगी के कार्यकाल के खत्म होने के बाद अटार्नी जनरल बनाया गया था। अपने चार साल के कार्यकाल में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कई महत्वपूर्ण मामलों में केंद्र सरकार का मजबूती से पक्ष रखा। धारा 370 को हटाने, निजता का अधिकार, आधार मामला, नागरिकता संशोधन कानून इत्यादि जैसे गंभीर मामलों पर सरकार का पक्ष रखा। अभी हाल ही में उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को पूरा वेतन देने के मामले में सरकार का पक्ष रखा था।
केके वेणुगोपाल 1954 से वकालत कर रहे हैं। उन्होंने मोरारजी देसाई सरकार के कार्यकाल में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रुप में काम किया था। वेणुगोपाल को संवैधानिक मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने पहले मैसूर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की और बाद में मद्रास हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरु किया।
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उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में करीब 25 साल की प्रैक्टिस के बाद दिल्ली का रुख किया और यहीं वकालत करते रहे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में 1972 में सीनियर वकील का दर्जा मिला। उनके पिता एमके नांबियार भी एक मशहूर वकील थे।
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