शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के पार्टी के मुखपत्र सामना की कमान संभालते ही तेवर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। पार्टी के मुखपत्र में एनसीपी और ममता बनर्जी को भी निशाना बनाया गया है जबकि कांग्रेस की सराहना की गई है। पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में शिवसेना ने आवश्यक वस्तुओं पर मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और जीएसटी वृद्धि के खिलाफ कांग्रेस द्वारा पिछले सप्ताह के राष्ट्रव्यापी विरोध में शामिल नहीं होने के लिए पूर्व एमवीए सहयोगी एनसीपी सहित विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। सामना के संपादकीय में कहा गया कि ऐसे समय में जब केंद्र ईडी और सीबीआई को उनके पीछे भेजकर विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बना रही है। लेकिन विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस के आंदोलन से किनारा कर लिया। शिवसेना की तरफ से इसे लोकतंत्र के लिए “चिंताजनक” बताया गया है।
सामना का संपादकीय में एनसीपी और अन्य दलों को लेकर आलोचना की बात ऐसे समय में सामने आई है जब उद्धव ठाकरे ने ईडी द्वारा पात्रा चॉल मामले में गिरफ्तारी के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत से सामना के मुख्य संपादक के रूप में पदभार संभाला है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रदर्शन की सराहना और ईडी की कार्रवाई के बाद शिवसेना आक्रामक नजर आ रही है।
लेख में कहा गया किअन्य विपक्षी नेताओं की भूमिका संदिग्ध है। यह लोकतंत्र और आजादी के लिए चिंताजनक है। ईडी का उपयोग करके महाराष्ट्र की सरकार गिरा दी गई और एक नई सरकार बनाई गई। इस तरीके के इस्तेमाल से महंगाई, बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी आवाज दबा दी जाती है। जो लोग अपनी टांगों के बीच पूँछ पकड़कर बैठे हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए है। शिवसेना ने भी पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर निशाना साधा। लेख में कहा गया कि हमें यह गंभीर लगता है कि टीएमसी सांसदों ने मामूली कारणों से उप-राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं किया। बंगाल में ईडी और सीबीआई की सियासी हरकतें तेज हो गई हैं। राहुल और सोनिया गांधी को भी ईडी ने निशाना बनाया है, फिर भी वे महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर हैं।