लखनऊ: यूपी में 2022 का विधान सभा चुनाव कई मायनों में बहुत खास दिखाई दे रहा है. 2022 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) नए प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं. यूपी चुनाव में इस बार अखिलेश यादव ने अपने परिवार से किसी को भी विधान सभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है. अखिलेश यादव सिर्फ अकेले चुनावी मैदान में हैं.
अखिलेश के परिवार से कोई और नहीं लड़ रहा चुनाव
अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को जरूर जसवंतनगर विधान सभा सीट से प्रत्याशी बनाया है लेकिन शिवपाल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं. यूपी में समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठबंधन है. लेकिन अखिलेश यादव ने पहली बार अपने परिवार के किसी भी सदस्य को विधान सभा चुनाव ना लड़ाने का फैसला किया है.
परिवार के 9 लोग लड़ना चाहते थे चुनाव
सूत्रों ने बताया कि इस बार अखिलेश यादव के परिवार से लगभग 9 सदस्य विधान सभा का चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ना चाहते थे. फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, बदायूं, लखनऊ, झांसी की सीटों से सपा के टिकट पर परिवार के सदस्य चुनाव की तैयारी कर रहे थे. मैनपुरी से पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव, फिरोजाबाद से पूर्व सांसद अक्षय यादव, लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव और लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से अनुराग यादव, शिवपाल के बेटे आदित्य यादव, चरखारी से पुष्पेंद्र यादव समेत लगभग 9 सदस्य विधान सभा चुनाव लड़ना चाहते थे. इनमें से अपर्णा यादव और अनुराग यादव 2017 का विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. लेकिन अखिलेश यादव ने 2022 के चुनाव के लिए परिवार के लोगों को टिकट देने से मना कर दिया. अखिलेश ने जब परिवार के लोगों को टिकट देने से मना किया तो अपर्णा यादव बीजेपी में चली गईं.
इन सीटों पर पार्टी ने किया प्रयोग
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिन सीटों पर परिवार के लोगों का टिकट काटा है, वहां पर यादव बिरादरी की जगह OBC की अन्य जातियों और ब्राह्मण चेहरों को टिकट दिया है. जैसे सरोजिनीनगर सीट पर अनुराग यादव की जगह अभिषेक मिश्रा को टिकट दिया, जो कि सपा के ब्राह्मण चेहरा हैं. लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव की जगह राजू गांधी को टिकट दिया, राजू गांधी पंजाबी समाज से हैं. झांसी की चरखारी सीट से पुष्पेंद्र यादव की जगह अजेन्द्र सिंह राजपूत को टिकट दिया, जो कि लोधी समाज से हैं. फिरोजाबाद की जिस सीट से अक्षय यादव चुनाव लड़ना चाहते थे, उस सीट पर एक लोधी समाज से टिकट दिया है. तेजप्रताप यादव मैनपुरी की किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन मैनपुरी की करहल सीट से अखिलेश यादव खुद चुनावी मैदान में हैं.
परिवारवाद के खिलाफ अखिलेश?
दरअसल यूपी में बीजेपी हमेशा से समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद के आरोप लगाते रही है. 2012, 2014, 2017 और 2019 में बीजेपी ने सपा के खिलाफ परिवारवाद को बड़ा हथियार बनाया. बीजेपी लगातार परिवारवाद के मुद्दे पर सपा को घेरते आई है. 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव इस बार परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहते हैं. यही कारण है कि अखिलेश ने इस बार सीधा स्टैंड लिया कि परिवार को टिकट नहीं देंगे. इसके जरिए अखिलेश सपा की छवि बदलने की भी कोशिश कर रहे हैं.
अखिलेश ने M+Y फैक्टर को किया दरकिनार!
परिवारवाद के आरोपों से दूर रहने के साथ-साथ अखिलेश ने इस बार विधान सभा चुनाव यादव-मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या भी पिछली बार की तुलना में कम की है. वहीं गैर यादव ओबीसी पर ज्यादा फोकस किया है. अखिलेश ने ओबीसी की कुर्मी, मौर्य, शाक्य, कुशवाहा, सैनी, लोनी, जाट, गुर्जर, पाल, बघेल, प्रजापति जैसी जातियों को ज्यादा टिकट दिए हैं. वहीं इसके बाद ब्राह्मणों पर भी दांव लगाया है. अब देखना यह होगा कि अखिलेश अपनी इस रणनीति में कितना सफल हो पाते हैं. लेकिन अखिलेश के इन राजनीतिक कदमों से यह साफ है कि सपा की छवि जरूर बदलने की कोशिश कर रहे हैं.