यूपी में जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे के मामले को लेकर अब भाजपा का आलाकमान भी एक्शन में आ गया है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने पूरे मामले को लेकर संगठन और सरकार से रिपोर्ट तलब है। रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में आगे बीजेपी कोई कदम उठा सकती है। हालांकि सूत्रों की माने तो बीजेपी पूरी तरह से इस मामले को दबाने में जुटी हुई है क्योंकि उसे पता है कि यदि मामला तूल पकड़ गया तो बीजेपी को काफी नुकसान हो सकता है। खासतौर से दिनेश खटीक के आरोपों की जद में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह आए हैं। आलाकमान इस बात की तह तक जाएगा कि क्या स्वतंत्रदेव सिंह अपनी मनमानी कर रहे हैं या दिनेश खटीक किसी के इशारे पर ये आरोप लगा रहे हैं।
खटीक के आरापों के बाद अब कटघरे में स्वतंत्रदेव सिंह
खटीक का दावा है कि दलित होने के कारण अधिकारियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था, जिससे विपक्षी नेताओं ने भाजपा सरकार को निशाना बनाया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट करके तंज कसते हुए कहा कि, “एक पक्षपाती सरकार से इस्तीफा देना, जहां मंत्री होना कोई सम्मान नहीं है, लेकिन दलित होना एक गाली है।” राज्यमंत्री का दावा है कि उसे जल शक्ति विभाग में कोई काम आवंटित नहीं किया गया था। राज्यमंत्री के आरोपों ने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को कटघरे में खड़ा कर दिया है। खटीक का पत्र वायरल होने के बाद सिंह ने कहा कि वह अपने कनिष्ठ मंत्री से रोज बात करते हैं और वह दुखी नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर कुछ मुद्दे हैं, तो उनके साथ बैठक के बाद इसे सुलझा लिया जाएगा।’
खटीक ने अमित शाह को क्यों भेजा इस्तीफा
बीजेपी सूत्रों की माने तो दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा अमित शाह को क्यों भेजा ये चर्चा का विषय बना हुआ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जब किसी मंत्री को इस्तीफा देना होता है तो वह राज्यपाल को या मुख्यमंत्री को भेजता है। या फिर इससे ज्यादा वह पार्टी के अध्यक्ष को भेज सकता है। लेकिन खटीक ने अपना इस्तीफा सीधे देश के गृहमंत्री अमित शाह को भेजा जिसमें कई तरह के आरोप लगाए गए थे। हालांकि दिनेश खटीक अभी अपने इस्तीफे पर केवल इतना ही जवाब दे रहे हैं कि यह कोई बड़ा विषय नहीं है।