उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कल सुप्रीम कोर्ट से भड़काऊ भाषण देने के मामले में राहत मिल गई थी। वर्ष 2007 में सांप्रदायिक दंगा फैलाने के आरोप में सीएम योगी के ऊपर केस दर्ज किया गया था। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में यह मामला चलाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने भड़काऊ भाषण देने के मामले में दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में कोर्ट में पेश होने वाले साक्ष्यों में छेड़छाड़ करने की बात सामने आई है।
साक्ष्यों से की गई थी छेड़छाड़
यह मामला वर्ष 2007 का है जब सीएम योगी गोरखपुर में तत्कालीन सांसद थे। उस समय योगी आदित्यनाथ पर भड़काऊ भाषण देने पर सांप्रदायिक दंगा फैलाने का आरोप लगा था। इस दंगे में दो लोगों की मौत हो गई थी। जबकि अन्य कई लोग घायल हो गए थे। अब इसी मामले की फोरेंसिक जांच में सामने आया है कि सीएम के खिलाफ मुकदमा करने वाले आरोपियों ने साक्ष्यों के साथ छेड़खानी की थी। उन्हें फंसाने के लिए गोरखपुर के परवेज परवाज नामक शख्स ने गहरी साजिश रची थी। आरोप है कि परवेज ने सबूत के तौर पर एक सीडी कोर्ट में पेश की थी। जांच में सामने आया है कि उस सीडी के साथ छेड़खानी की गई।
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आरोपी जेल में काट रहे उम्रकैद की सजा
सीडी में छेड़छाड़ की पुष्टि होने पर पूर्व एमएलसी स्व. डॉ. वाईडी सिंह ने कोर्ट को इस बात की जानकारी देते हुए परवेज परवाज के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं कोर्ट के आदेश पर कैंट पुलिस ने13 दिसम्बर 2018 को मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल कर दिया। फिलहाल एक महिला से दुष्कर्म के मामले में परवेज और उसका एक साथी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। वहीं राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए तत्कालीन प्रशासन ने गलत मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साजिश करने वालों को करारा जवाब मिला है।