रूस और पाकिस्तान भले ही साथ में हथियार उठा रहे हों और युद्धाभ्यास कर रहे हों, लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर रूस ने अपने पुराने साथी भारत का ही साथ दिया है। दरअसल, रूस ने भारत द्वारा शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दे नहीं उठाए जाने की अपील का समर्थन किया है। रूस का कहना है कि ऐसे मुद्दे उठाना संगठन के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
आपको बता दें कि बीते मंगलवार को एससीओ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कदा सन्देश देते हुए कहा था कि एससीओ की बैठक में गैर-जरूरी तरीके से द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने की कोशिश करना संगठन के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसके पहले पाकिस्तान ने इस बैठक के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की थी।
कश्मीर के मुद्दे को लेकर हुआ था विवाद
पीएम मोदी की इस अपील का समर्थन करते हुए रूस के डेप्युटी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबूश्किन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि एससीओ के चार्टर में ये बात कही गई है कि बैठक के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को ना लाया जाए। हमने सभी सदस्य देशों को भी स्पष्ट कर दिया है कि बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इन चीजों से बचना चाहिए।
मीडिया ने उनसे पूछा था कि क्या पाकिस्तान ने एससीओ के अध्यक्ष होने के नाते उनके सामने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, तो उन्होंने कहा कि जहां तक भारत-पाकिस्तान विवाद की बात है, हमारा रुख स्पष्ट है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
सितम्बर माह में हुई एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों इस बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधि कर रहे मोईद यूसुफ ने कश्मीर का गलत नक्शा पेश किया था। उसने अपने इस नक़्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया था। पाकिस्तान की इस करतूत से भारत का प्रतिनिधि कर रहे अजित डोभाल ने जमकर नाराजगी जताई थी और बैठक से उठकर चले गए थे। इसके अलावा भारतने पाकिस्तान पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था और पाकिस्तान के नक्शे को काल्पनिक करार दिया था।
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उस वक्त भी रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव ने कहा कि पाकिस्तान ने जो किया, रूस उसका समर्थन नहीं करता है और उम्मीद है कि पाकिस्तान के इस ‘उकसाने’ वाले कृत्य से एससीओ में भारत की भागीदारी पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।