Sarkari Manthan:- दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट्स यूनियन यानी JNUSU इलेक्शन का रिजल्ट घोषित हो गया है। सभी चार पदों पर लेफ्ट यूनिटी की जीत हुई है। अदिति मिश्रा JNUSU की नई प्रेसिडेंट बनी हैं। वो AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) से लेफ्ट यूनिटी पैनल की उम्मीदवार थीं।
JNUSU प्रेसिडेंट अदिति मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ है, वाराणसी से ही उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई है,
उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से ग्रेजुएशन किया और उसे बाद उन्होंने पुडुचेरी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स (MA) किया है। वर्तमान में अदिति मिश्रा JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (SIS) की PhD स्कॉलर हैं।
(अदिति मिश्रा का राजनीतिक सफर)
अदिति मिश्रा का राजनीतिक सफर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से शुरू होता है, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। साल 2017 में छात्र राजनीति में उनकी पहचान उस समय बनी, जब उन्होंने महिला हॉस्टल में लागू कर्फ्यू टाइमिंग के खिलाफ एक आंदोलन का नेतृत्व किया ।
1 सितंबर 2017 की रात BHU की एक छात्रा ने आरोप लगाया कि मोटरसाइकिल सवार कुछ युवकों ने कैंपस के अंदर उसके साथ छेड़खानी की। छात्रा की शिकायत के बाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन और सिक्योरिटी गॉर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की और वो लोग छात्रा की मदद की जगह उससे उल्टा ही सवाल-जवाब करने लगे कि वो इतनी रात को हॉस्टल से बाहर क्यों निकली थी।
इस जवाब से छात्राओं में आक्रोश पैदा हुआ। अगले दिन यानी 22 सितंबर की सुबह से छात्राओं ने यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी शुरू कर दी। उनका नारा था – ‘हमें सुरक्षा नहीं, समानता चाहिए।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार छात्राओं का कहना था कि रात 8 बजे हॉस्टल में वापस लौटने की जबरन कर्फ्यू नीति और जेंडर बेस्ड डिस्क्रीमिनेशन यानी लिंग आधारित भेदभाव बंद किया जाए। साथ ही कैंपस में CCTV और गार्ड पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए।
ये घटना सोशल मीडिया और नेशनल मीडिया में तेजी से वायरल हो गई थी। क्योंकि यह आंदोलन तीन दिनों तक जारी रहा और इसमें सैकड़ों छात्राएं शामिल हो गईं। इस पर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने बातचीत के बजाय पुलिस बुला ली और 23 सितंबर की रात को पुलिस ने स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में कई छात्राएं घायल हुईं।
फिर क्या था, पूरे देश में नारी सुरक्षा और समान अधिकारों पर नई बहस छिड़ गई। इस प्रोटेस्ट में अदिति मिश्रा भी शामिल थीं। उस दौरान वो (BHU) के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन कर रही थीं।
बात साल 2018 की है, अदिति ने मास्टर्स के लिए पुडुचेरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। दाखिले के बाद उन्होंने देखा कि यूनिवर्सिटी कैंपस हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े नारों और पोस्टर-बैनरों से भरा पड़ा हुआ था। कैंपस का पूरी तरीके से भगवाकरण किया जा रहा था। फिर उन्होंने कम्युनल नारों वाले बैनर लगाने का विरोध किया। साथ ही यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर ऑफिस का घेराव करने में हिस्सा लिया।
साल 2019 में अदिति ने ट्यूशन फीस वृद्धि के खिलाफ देशव्यापी छात्र आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
साल 2024 में अदिति इंटरनल कमेटी (IC) की रिप्रेजेंटेटिव चुनी गईं। उन्हें PhD वर्ग के स्टूडेंट के प्रतिनिधी के रूप में चुना गया। अपने कार्यकाल में अदिति ने IC को जवाबदेह और स्टूडेंट्स के लिए एक्सेसेबल बनाने के लिए काम किया। उनके प्रयासों के चलते IC में एक सीट किसी भी लिंग पहचान (any gender identity) के छात्र के लिए उपलब्ध है। ये इन्क्लूसिव जेंडर सेंसिटाइजेशन यानी समावेशी लैंगिक संवेदीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूनिवर्सिटी में इंटरनल कमेटी का गठन स्टूडेंट वेलफेयर, एकेडमिक इन्वायर्नमेंट, डिसिप्लिन और जेंडर सेंसिटिविटी जैसे मुद्दों पर स्टूडेंट्स का पार्टिसिपेशन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
6 नवंबर, 2025 को अदिति मिश्रा JNUSU की प्रेसिडेंट बनीं, उन्होंने चुनाव जीतने से पहले कहा था कि अगर वो अध्यक्ष बनती हैं तो उनकी प्राथमिकता “कैंपस में समानता, सुरक्षा और सस्ती शिक्षा” सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा था कि जेएनयू हमेशा विचार, असहमति और संवाद की भूमि रहा है। हमें इस संस्कृति को बचाए रखना है। फीस में बढ़ोतरी, महिला छात्रों की सुरक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दे हमारी प्राथमिकता होंगे।
JNUSU इलेक्शन में अदिति JNUSU की प्रेसिडेंट बनीं, वहीं, वाइस प्रेसिडेंट के पद पर SFI की गोपिका बाबू, जनरल सेक्रेटरी के पद पर DSF के सुनील यादव और जॉइंट सेक्रेटरी पर AISA की दानिश अली को जीत हासिल हुई है।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine