प्रयागराज। आस्था, भक्ति और आध्यात्मिकता के महासंगम महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। पतित पावनी मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। गुरुवार सुबह 8 बजे तक 37.97 लाख से अधिक भक्तों ने पवित्र स्नान कर अपनी श्रद्धा प्रकट की।
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर देश-विदेश से लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। कल्पवासियों सहित आम श्रद्धालु अपने पापों का प्रायश्चित कर मोक्ष की कामना कर रहे हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत कर रहा है, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, भजन-कीर्तन और प्रवचन हो रहे हैं। विशेष रूप से बलिदानियों के सम्मान में एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
महाकुंभ में अब तक 38.97 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। बुधवार रात से ही तीर्थयात्रियों का निरंतर आगमन जारी है। संगम तट पर गंगा-जमुना की पवित्र धारा में डुबकी लगाकर श्रद्धालु आत्मशुद्धि का अनुभव कर रहे हैं। इस बीच सुरक्षा को लेकर प्रशासन मुस्तैद है और सभी स्नान घाटों पर जल पुलिस, गोताखोरों और बचाव दल को तैनात किया गया है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस एवं प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। अपर मेलाधिकारी महाकुंभ विवेक चर्तेदी ने बताया कि गुरुवार सुबह 8 बजे तक 10 लाख कल्पवासी और 27.97 लाख तीर्थयात्री संगम तट पर स्नान कर चुके हैं।
पुलिस उप महानिरीक्षक वैभव कृष्ण और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी स्वयं मेला क्षेत्र में रहकर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। संपूर्ण मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन दिया जा रहा है कि वे निर्धारित मार्गों का उपयोग करें और सुरक्षित स्नान कर सकुशल अपने गंतव्य को लौटें।
महाकुंभ में संत-महात्माओं द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन और धार्मिक सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। भक्तिमय वातावरण में श्रद्धालु भगवान का स्मरण करते हुए गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इस पावन आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का निर्वहन करना है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और आध्यात्मिकता का प्रचार-प्रसार करना भी है।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे स्नान के दौरान सतर्क रहें, भीड़भाड़ वाले इलाकों में सावधानी बरतें और प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। महाकुंभ का यह आयोजन भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है, जिसे अनुशासन और शांति के साथ संपन्न करना हम सभी की जिम्मेदारी है।