महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में मतदान हो चुका है। अब सभी को नतीजों का इन्तजार है। मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी। महाराष्ट्र में इस बार मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति और शिवसेना (उद्धव ठाकरे), कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) के संयुक्त तालमेल से बने महा अघाड़ी गढ़बंधन के बीच माना जा रहा है। हालांकि, बीते बुधवार को आए कई एग्जिट पोल में महायुति को विजेता बताया जा रहा है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में, जहाँ बुधवार को मतदान हुआ, अधिकांश प्रमुख एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की कि महायुति सत्ता बरकरार रखने और एमवीए को हराकर मामूली बहुमत हासिल करने की ओर अग्रसर है। यदि यह रुझान सही है, तो इसका मतलब यह होगा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले तीन-पक्षीय गठबंधन ने एमवीए की गति को उलट दिया है, जिसने महायुति के 17 के मुकाबले 30 लोकसभा सीटें जीती थीं।
झारखंड
झारखंड के बारे में एग्जिट पोल ज़्यादा मिले-जुले रहे, जहाँ दो चरणों में होने वाले चुनाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जो पिछले साल भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए थे। कुछ एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन मामूली बहुमत हासिल करेगा, लेकिन अन्य ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन आरामदायक बहुमत की ओर बढ़ रहा है।
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एग्जिट पोल को नहीं मान सकते हैं सच
यह तो तय है कि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते और अक्सर पिछले चुनावों में गलत नतीजे देते रहे हैं। ये चुनाव पोल करने वालों और उनकी कार्यप्रणाली के लिए भी एक लिटमस टेस्ट हैं क्योंकि उनमें से ज़्यादातर ने लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हरियाणा के लिए भी गलत पूर्वानुमान लगाए हैं। गलत पूर्वानुमानों से परेशान कई पोल करने वालों ने बुधवार शाम को अपने डेटा जारी करने में कम महत्वपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया, कुछ ने तो मुश्किल सीटों के बारे में बताने से भी परहेज किया।
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