वक्फ बोर्ड बिल को लेकर भाजपा नेता से भिड़े टीएमसी सदस्य, खून से लथपथ हुआ हाथ  

विवादास्पद वक्फ बोर्ड बिल पर चल रही बैठक ने नाटकीय मोड़ ले लिया है। वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता कल्याण बनर्जी ने भाजपा नेता अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस के बीच कांच की पानी की बोतल तोड़ दी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी को मंगलवार को वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान उनके कथित अनियंत्रित आचरण के कारण एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

वक्फ बिल पर जेपीसी के सदस्य बनर्जी को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने और कांच की बोतल तोड़ने और उन पर फेंकने के लिए लोकसभा नियम 261 और 374 (1) (2) के तहत एक दिन और दो बैठकों के लिए निलंबित कर दिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, इस झड़प के कारण बनर्जी के अंगूठे और तर्जनी में चोट लग गई, जिसके लिए उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार की आवश्यकता पड़ी।

यह तनावपूर्ण बहस उस समय हुई जब भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और वकीलों के एक समूह की बात सुन रही थी। बनर्जी समेत विपक्षी सदस्यों ने विधेयक में न्यायाधीशों और वकीलों की भागीदारी की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए, जिससे मौखिक झड़प हो गई।

बहस बढ़ने पर बनर्जी ने गुस्से में आकर बोतल मेज पर दे मारी, जिससे अनजाने में उन्हें चोट लग गई। घटना के कारण बैठक अचानक रोक दी गई।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आप नेता संजय सिंह ने तुरंत हस्तक्षेप किया और बनर्जी को चिकित्सा के लिए कमरे से बाहर ले गए।

एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बनर्जी के गुस्से के कारण यह दुर्घटना हुई, उन्होंने यह भी बताया कि बोतल तोड़ने के चक्कर में उन्हें चोट लग गई थी। हाथापाई के बाद बैठक स्थगित कर दी गई।

वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता कल्याण बनर्जी और भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच तकरार देखने को मिला. इसी तकरार के कारण कांच की बोतल तोड़ने की स्थिति पैदा हुई.

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2023, जिसने महत्वपूर्ण राजनीतिक और कानूनी बहस छेड़ दी है, भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में बदलाव लाने का प्रयास करता है। वक्फ इस्लामी कानून में उस प्रथा को संदर्भित करता है जहां धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान की जाती है, और ऐसी संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है।

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विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है, जिनका तर्क है कि संशोधनों से सत्ता का केंद्रीकरण हो सकता है और राज्य वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता कम हो सकती है।