बुलंदशहर में चलती कार में नाबालिग से सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में बीते शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन दोषियों जुल्फिकार अब्बासी, दिलशाद अब्बासी और मलानी उर्फ इसराइल की मौत की सजा को 25 साल के कारावास में बदल दिया। न्यायालय ने इसे ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ मामला नहीं माना और दोषियों के पुनर्वास और सुधार की संभावना पर जोर दिया।
यह अपराध जनवरी 2018 का है, जब बुलंदशहर जिले में चलती कार में 17 वर्षीय आरुषि (बदला हुआ नाम) का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मौत की सज़ा को किया कम
मिली जानकारी के अनुसार, सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की बेंच ने कहा कि यह मामला ‘दुर्लभतम में दुर्लभतम’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने तीनों दोषियों जुल्फिकार अब्बासी, दिलशाद अब्बासी और इजराइल उर्फ मेलानी को बिना किसी छूट के 25 साल कैद की सजा सुनाई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2 जनवरी 2018 की शाम को, दोषियों ने पीड़िता को साइकिल पर जाते हुए देखा और उसका अपहरण कर लिया। वे उसे अपनी कार में खींचकर ले गए और चलती कार में एक-एक करके उसके साथ बलात्कार किया। जब पीड़िता चिल्लाने लगी, तो उन्होंने उसके दुपट्टे से उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और शव को नहर में फेंक दिया।
मामले की सुनवाई के दौरान बुलंदशहर की पॉक्सो कोर्ट ने मार्च 2021 में तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस घटना ने समाज में डर का माहौल पैदा कर दिया है और लोग, खासकर माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हो गए हैं।
दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364 (अपहरण), 376डी (गैंगरेप), 302/34 (हत्या), 201 (साक्ष्य नष्ट करना) और 404 (संपत्ति छीनना) और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।
मौत की सजा की समीक्षा याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई
पॉक्सो कोर्ट में फांसी की सजा पाए तीनों दोषियों ने फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले की समीक्षा की और पाया कि यह ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ मामले की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने कोई विशेष कारण नहीं बताए हैं जिसके आधार पर सिर्फ मौत की सजा दी जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि दोषियों का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन पर अपने परिवार की जिम्मेदारी भी है। इसके अलावा दोषियों की उम्र करीब 24 साल है और उनमें से एक को स्वास्थ्य संबंधी समस्या भी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि दोषियों का सुधार और पुनर्वास संभव है, इसलिए मृत्युदंड की जगह 25 साल कैद की सजा उचित होगी।
क्या था पूरा मामला
यह मामला जनवरी 2018 की घटना से जुड़ा है, जब बुलंदशहर जिले में 17 वर्षीय पीड़िता शिवानी (बदला हुआ नाम) का अपहरण कर चलती कार में उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। इस वीभत्स घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया था। 4 जनवरी 2018 को पीड़िता का शव नहर में मिला था। परिजनों ने इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद को नामजद करते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
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इस मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई थी। आरोप है कि तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने घटना के बाद बरामद साक्ष्यों को कोर्ट में पेश नहीं किया, जबकि वे साक्ष्य केस के लिए महत्वपूर्ण थे। कोर्ट की नाराजगी के बाद पुलिस ने जांच में तेजी लाकर तीनों आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए।
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