गणपति विसर्जन जुलूस मामले में चला कानूनी चाबुक, कट्टरपंथी मुस्लिमों पर टूटा कहर

कर्नाटक के मांड्या जिले के नागमंगला इलाके में बीते 11 सितंबर को गणपति विसर्जन के दौरान दरगाह के सामने हुए पथराव की घटना के को लेकर पुलिस प्रशासन काफी सख्त नजर आ रहा है। इस मामले में एक पुलिस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, 13 सितंबर को दस प्राथमिकी दर्ज की गईं, जिसके तहत 56 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 90 अन्य की तलाश की जा रही है। शैक्षणिक संस्थानों में भी छुट्टी घोषित कर दी गई है।

मिली जानकारी के अनुसार, दंगों के दौरान ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में एक अधिकारी को निलंबित भी किया गया। पुलिस इंस्पेक्टर अशोक कुमार ने 2023 में गणेश चतुर्थी के दौरान इस तरह की घटना के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया और इस साल भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था करने में विफल रहे। मंड्या के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मल्लिकार्जुन बालादंडी ने कहा कि मंड्या के बद्रीकोप्पालु गांव में मस्जिद के पास का स्थान एक संवेदनशील क्षेत्र है। वहां अधिक सुरक्षा बल तैनात किए जा सकते थे।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसा और दंगे के लिए 150 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। इन लोगों पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 16, 109, 115, 118, 121, 132, 189 और 190 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। अधिकारी अपराधियों की पहचान करने और उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं।

पुलिस ने 13 सितंबर को चार लोगों को गिरफ्तार भी किया। इससे पहले 12 सितंबर की शाम को 52 आरोपियों को अदालत में पेश किया गया था। मांड्या जिला अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

12 सितंबर को फोरेंसिक विशेषज्ञों के एक समूह ने साक्ष्य एकत्र करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया। स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है। पुलिस विभाग ने 14 सितंबर तक कर्फ्यू लगा दिया है और स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं। पुलिस ने नागमंगला कस्बे में फ्लैग मार्च किया और वहां अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

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कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस मामले को लेकर पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राज्य अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने नागमंगला में गणपति विसर्जन जुलूस के दौरान हुई घटना की सच्चाई का पता लगाने के लिए नेताओं की एक तथ्य-खोजी टीम बनाई है और एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।