सभी छात्र शहीदों के विचार और विचारधारा को समझे और आत्मसात करें : डाॅ प्रशांत त्रिवेदी

लखनऊ। शिया पी जी कालेज में ’काकोरी  ट्रेन एक्शन’ के 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर खतीब-ए-अकबर पुस्तकालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता गिरी इंन्स्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. प्रशान्त त्रिवेदी थे। गोष्ठी का संचालन इतिहास विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डाॅ. अमित राय तथा अध्यक्षता आल इण्डिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड के सचिव मौलाना यासूब अब्बास ने की। इस अवसर पर काकोरी ट्रेन एक्शन के हीरो पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी एवं ठाकुर रोशन सिंह सहित अन्य सभी ट्रेन एक्शन के क्रान्तिकारियों को याद किया गया।


इस मौके पर डाॅ0 प्रशान्त त्रिवेदी ने बताया कि काकोरी टेªन एक्शन के 100 साल पूरे होने पर आज हम उन शहीदों को याद करने के लिये एकत्र हुये हैं तो हमें यह समझना होगा कि वो कोई एक अकेली घटना नहीं थी। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ युवा क्रान्तिकारी चेतना से लैस वैचारिक दृढ़ता के साथ हो रहे संघर्ष की एक कड़ी थी। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी के नाम से बने संगठन जिसके नेता शहीद चन्द्रशेखर आजाद, शहीद-ए-आजम भगत सिंह जैसे अनेकों युवा थे जो भारत को केवल अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने तक की सोंच से आगे बढ़कर एक शोषण-विहीन बराबरी के समाज की स्थापना के लक्ष्य को पाने के लिये लड़ रहे थे। इन नौजवानों ने 1917 में रूस में हुई क्रांति से प्रेरणा लेते हुये जो नये भारत का सपना देखा था उसको अपने घोषणा-पत्र में शामिल किया था।

इन क्रान्तिकारियों का मानना था कि जब जड़ता और निष्क्रियता लोगों को अपने शिकंजे में ले लेती है तो वो किसी भी प्रकार की तब्दीली से घबराते हैं इस जड़तो को तोड़ने के लिये उनके अन्दर क्रान्तिकारी स्प्रिट पैदा करने की जरूरत होती है। इस सोंच के लिये ही उन्होंने हर उस संघर्ष को इस्तेमाल करने की वकालत की जो भारत के जनमानस को उद्धेलित करे और वो इस समाज परिवर्तन की व्यापक लड़ाई का हिस्सा बन सकें। डाॅ. त्रिवेदी ने आगे कहा कि इन क्रान्तिकारियों को अंगे्रजों ने अपने दस्तावेजों में आतंकवादी और अराजकतावादी करार दिया।

अंग्रेजों के इस प्रचार के खिलाफ क्रान्तिकारियों ने अपने लेख, घोषणा-पत्र आदि प्रस्तुत करते हुये कहा कि हम आतंकवादी नहीं है हम समाज परिवर्तन की लड़ाई लड़ने वाले सिपाही हैं और ब्रिटिश हूकूमत के आतंक का हर तरीके से विरोध करने के लिये तैयार हैं।

आज के नौजवानों को इन लेखों को पढ़ने की जरूरत है जिसमें भगत सिंह का बम का दर्शन, भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेज आदि प्रमुख थे। काकोरी ट्रेन एक्शन भी लोगों के अन्दर एक क्रान्तिकारी स्प्रिट पैदा करने की कड़ी थी। यह 23-24 साल के नौजवान वैचारिक रूप से परिपक्व होने के साथ-साथ इस परिवर्तन की लड़ाई के लिये इतना तत्पर थे कि उन्होंने बिना कुछ चिन्ता किये अपनी जान कुर्बान कर दी।


इसके बाद उन्होंने आगे कहा कि काकोरी ट्रेन एक्शन को अंजमा देने वाले 40 क्रान्तिकारियों पर अंगे्रजी सरकार के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने हेतु सरकार बनाम राम प्रसाद बिस्मिल व अन्य नामक केस चलाया गया जिसमें राजेन्द्र लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनायी गयी।


विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये आल इण्डिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इस तरीके के आयोजन कालेज में लगातार होने चाहिये जिससे आज का युवा भारत की आजादी की लड़ाई के महानायकों से प्रेरणा ले सके। इस तरीके के आयोजन तभी सार्थक हैं कि जब हम इन शहीदों के सपनो के भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। विचार गोष्ठी में आये हुये सभी अतिथियों, अध्यापकों व छात्र/छात्राओं को कालेज के प्राचार्य प्रो0 शबीहे रज़ा बाकरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

इस मौके पर निदेशक एससीडीआरसी डाॅ. प्रदीप शर्मा, विधि संकायाध्यक्ष डाॅ. सादिक हुसैन आब्दी, डाॅ. मोहसिन रज़ा, डाॅ. ऐमन रज़ा, डाॅ. सीमा राना, डाॅ. अर्चना सिंह, डाॅ. अमित राय, डाॅ. मोहम्मद अली, डाॅ. नूरीन जै़दी, डाॅ. एजाज हुसैन सहित महाविद्यालय के शिक्षक व छात्र/छात्रायें उपस्थित रहे।