नए संसद भवन को महिलाओं, अनुसूचित जनजाति नेताओं और स्वतंत्रता संग्राम के योगदान को दर्शाने वाली और कलाकृतियों से सजाया जाएगा। इसके अलावा, हाल ही में विदेश से लाई गई भारत की चोरी हुई 14 मूर्तियों को भी सदन परिसर में विशिष्ट जगहों पर रखा जाएगा। दीर्घाओं में से एक में डिजिटल दीवार होगा, जिसमें लोकसभा की स्थापना के बाद से संसद सदस्यों के बारे में विवरण होगा।
बता दें कि संसद के नए भवन का को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को देश को समर्पित किया था। नए संसद भवन में भारत की संंस्कृति एवं धरोहरों की झलक मिलेगी। इसी के तहत संसद की सजावट के दूसरे चरण का हिस्सा ये कलाकृतियाँ बनने जा रही हैं। यह काम जल्दी ही शुरू होने वाला है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दूसरा चरण एक बड़ी एवं महत्वाकांक्षी अवधारणा है। उन्होंने कहा, “हम प्रागैतिहासिक काल से लेकर स्वतंत्रता संग्राम और देश की 75 पथप्रदर्शक महिलाओं को दिखा रहे हैं। एक दीर्घा देश के लिए महान कार्य करने वाले अनुसूचित जनजाति नेताओं को समर्पित होगी।”
अधिकारी ने आगे कहा, “तब हमारे पास भारत की समृद्ध परंपराओं – प्रकृति, ज्ञान और खेल को प्रदर्शित करने वाली एक दीर्घ होगी। एक बार संसद को सजाने का वर्तमान काम पूरा हो जाए, उसके बाद दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। इसके लिए कॉन्सेप्ट तैयार हैं और कलाकारों का चयन कर लिया गया है।”
दूसरे चरण में विदेश से लाई गईं 14 मूर्तियों को संसद में विशिष्ट स्थानों पर रखा जाएगा। ये मूर्तियाँ बेहद प्राचीन हैं और तस्करी के जरिए इन्हें विदेशों में बेच दिया गया था। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास के इन 14 मूर्तियों को विभिन्न देशों से वापस लाया गया है।
अधिकारियों ने बताया, “पुराने परिसर में कलाकृतियों की योजना कभी नहीं बनाई गई थी। खाली जगह में पेंटिंग बनाने के लिए कलाकारों को आमंत्रित किया जाता था। कोई विषयगत एकरूपता नहीं होती थी। सब कुछ जैसे-तैसे होता था। नई इमारत में हर चीज की योजना बनाई गई है। हमने विदेशों से लाई गईं तस्करी की 14 चोरी मूर्तियों को लगाने का फैसला किया है।”
योजना के अनुसार, एक गैलरी में एक डिजिटल दीवार होगी, जिसमें लोकसभा की स्थापना के बाद से संसद सदस्यों के बारे में विवरण दिखाया जाएगा। इसके अलावा, सरकार संसद की पुरानी इमारत के लिए भी योजना बनाई है।
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न्यू इंडियन एक्सप्रेस को अधिकारियों ने बताया कि पुरानी इमारत एक ‘कार्यालय ब्लॉक’ के रूप में काम करेगी। यह आम जनता के लिए खुला रहेगा। इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय पर्यटकों को ‘देखने का एक एकीकृत अनुभव’ देते हुए पुरानी इमारत को प्रधानमंत्री संग्रहालय के साथ जोड़ने की योजना बना रहा है।