नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया जाना है। इसे लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दल इस समारोह का बाहिष्कार कर रहे हैं। अब तक कुल 19 पार्टियां प्रधानमंत्री की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर चुकी है। उनका कहना है कि संसद भवन देश की नींव है ना कि कोई आम ईमारत इसलिए इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाना चाहिए। वहीं इसे लेकर सपा नेता अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी।

क्या बोले अखिलेश यादव?
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि भाजपाईयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्धाटन से नहीं, बल्कि वहाँ पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है। जहाँ सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्धाटन में क्या जाना।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
गौरतलब है कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। नई चार मंजिला सीट में लोकसभा की 888 सीट और राज्यसभा की 384 सीट्स हैं। लोकसभा सचिवालय की तरफ से 18 मई को एक बयान जारी किया जाता है, जिसमें कहा गया कि आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के तौर पर 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसी बात को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है।
तारिख को लेकर भी जताई जा रही आपत्ति
इसी कड़ी में कांग्रेस का कहना है कि इसे लेकर आपत्ति जताने एक और बड़ी वजह है। पार्टी के मुताबिक भाजपा ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई की तारीख तय की है, ये तिथि वीर सावरकर की जन्मतिथि है। कुछ समय पहले बीजेपी के आईटी चीफ अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया था और लिखा – राष्ट्र के महान सपूत विनायक दामोदर सावरकर की 140वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे।
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