उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। रिपोर्टों के मुताबिक करीब दो महीने के बाद ओबीसी आयोग ने गुरुवार को अपनी 350 पन्ने की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की नुमाइंदगी पर सर्वे करने के लिए एक पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया था। समझा जाता है कि सर्वे रिपोर्ट जमा होने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी और योगी सरकार निकाय चुनाव कराने की दिशा में आगे बढ़ेगी।
पांच सदस्यीय आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
बता दें कि यूपी के शहरी निकाय चुनाव का यह मामला हाई कोर्ट में गया था जिसके बाद अदालत ने नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया। रिपोर्टों के अनुसार आयोग के अध्यक्ष पूर्व जस्टिस राम अवतार सिंह और चार अन्य पूर्व नौकरशाह चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष कुमार विश्वकर्मा एवं ब्रजेश कुमार सोनी ने सीएम के आवास पर उनसे मुलाकात की और शहरी विकास मंत्री एके शर्मा की मौजूदगी में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
आयोग ने 3 महीने में पूरा किया सर्वे का काम
एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे का काम पूरा करने के लिए आयोग के पास छह महीने का समय था लेकिन आयोग ने तीन महीने में सभी 75 जिलों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली। एक सूत्र का कहना है कि जिलों में दौरे के दौरान आयोग के सदस्य जन प्रतिनिधियों, जिले के अधिकारियों से मुलाकात की और उनकी राय जानी। इस दौरान आयोग को निकाय चुनावों के प्रतिनिधित्व में खामियां मिलीं। सर्वे में यह पाया गया कि कुछ ऐसी शहरी निकायों में 30 साल से ज्यादा समय से ओबीसी को आरक्षण नहीं मिला है। साथ ही कुछ ऐसी सीटें भी मिलीं जो लगातार तीन बार से ओबीसी के लिए आरक्षित रहीं। इन सारी खामियों को सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है।
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हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने लगाई रोक
सूत्रों का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। आयोग की रिपोर्ट की एक कॉपी सुप्रीम कोर्ट को भी दी जाएगी। बता दें कि शहरी निकाय चुनावों कराने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर गत चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने ओबीसी को बिना आरक्षण दिए यूपी सरकार को चुनाव कराने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि था यूपी सरकार बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करा सकती है। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।