असम में बाल विवाह करने वालों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर विपक्ष ने सवाल उठाया है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को लखनऊ में असम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वहां पिछले 6 साल से बीजेपी की सरकार है. उन्होंने इसके लिए क्या किया? यह उनकी असफलता है. उन्होंने कितने स्कूल खोले? जब वे कार्रवाई कर रहे हैं, तो वे उन लड़कियों के बारे में क्या करेंगे जिनकी शादी कर दी गई है? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार मुसलमानों के ख़िलाफ है.इन्होंने ऊपरी असम में भूमिहीन लोगों को पट्टे बांटे, लेकिन निचले असम में इन्होंने कुछ नहीं किया.

इससे पहले शनिवार को असदुद्दीन ओवैसी ने असम सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि बाल विवाह को लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई के बाद लड़कियों की देखभाल कौन करेगा. ओवैसी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की विफलता है जो पिछले छह वर्षों से चुप रही. ओवैसी ने कहा कि आप उन्हें (नाबालिग लड़कियों से विवाह करने वालों को) जेल भेज रहे हैं. अब उन लड़कियों की देखभाल कौन करेगा? मुख्यमंत्री (हिमंत विश्व शर्मा) करेंगे? शादी बरकरार रहेगी. यह राज्य की विफलता है और ऊपर से आप उन्हें बदहाली में धकेल रहे हैं.
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बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राज्य पुलिस द्वारा पिछले दिन से शुरू किया गया बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा. राज्य सरकार के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और जिन्होंने 14-18 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों से शादी की है उनके खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे. शर्मा ने कहा है कि नाबालिग की शादी में शामिल माता-पिता को फिलहाल नोटिस देकर छोड़ा जा रहा है और गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. असम सरकार के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में शनिवार तक राज्य में 2,250 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया.
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