चुनाव आयोग के इरादे के हिसाब से अगर सभी स्टेक होल्डर तैयार हुए तो देश में अगले लोकसभा चुनावों से रिमोट वोटिंग मशीन से मताधिकार का इस्तेमाल कर पाना एक सच्चाई हो सकती है। चुनाव आयोग ने इंजीनियरों और विशेषज्ञों की देखरेख में एक ऐसी मशीन की प्रोटोटाइप तैयार कर ली है, जिसमें एक साथ देश के 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटिंग की जा सकेगी। रिमोट वोटिंग मशीन प्रवासी वोटरों को मताधिकार की सुविधा दिलाने के लिए बनाई जा रही है। चुनाव आयोग ने आज इस बात की जानकारी दी है और 16 जनवरी को राजनीतिक दलों को उसे दिखाने के लिए बुलाया भी है। वोटर आई कार्ड को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया ने भी इस दिशा में आयोग का मनोबल काफी बढ़ाया है, जिसपर पिछले कुछ महीनों में काफी सक्रियता के साथ काम हुआ है।
रिमोट वोटिंग मशीन विकसित- चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा है कि इसने घरेलू प्रवासी वोटरों के लिए एक रिमोट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की प्रोटोटाइप विकसित की है। चुनाव आयोग ने इस प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के लिए 16 जनवरी को राजनीतिक दलों को बुलाया है। चुनाव आयोग की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक इसने रिमोट वोटिंग को अमल में लाने को लेकर एक वैचारिक नोट भी जारी किया है और राजनीतिक दलों से इसके कानूनी, प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियों पर 31 जनवरी तक उनकी राय मांगी है। चुनाव आयोग के मुताबिक मल्टी- कॉन्स्टिचूअन्सी रिमोट ईवीएम को एक पब्लिक सेक्टर की कंपनी ने तैयार किया है। यह रिमोट ईवीएम एक रिमोट पोलिंग बूथ से एक बार में देश के 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए काम कर सकता है।
घरेलू प्रवासी वोटरों के लिए होगी ये सुविधा
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कहा है कि, ‘युवाओं और शहरी उदासीनता पर फोकस के बाद रिमोट वोटिंग चुनावी लोकतंत्र में भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए एक बदलाव वाली पहल होगी।’ चुनाव आयोग के बयान में कहा गया है कि इसके लिए पहले से परखे जा चुके M3 इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के मॉडिफाइड वर्जन को प्रवासियों के गृह निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर लगाया जाएगा। इसके मुताबिक, ‘इसलिए प्रवासी मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए अपने गृह जिलों की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।’ चुनाव आयोग मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के इरादे से यह कर रहा है, ताकि कोई वोटर मतदान से वंचित ना रह जाए।
16 जनवरी को राजनीतिक दलों को बुलावा
रिमोट वोटिंग मशीन कैसे काम करेगा, इसके प्रदर्शन के लिए चुनाव आयोग ने 16 तारीख को 8 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों और 57 प्रादेशिक पार्टियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। बयान में बताया गया है, ‘ये पहल लागू हुई तो प्रवासियों के लिए एक सामाजिक बदलाव की तरह होगा, क्योंकि अपनी जड़ों से जुड़ रहने और कई बार विभिन्न वजहों से वो अपने कार्यस्थल पर खुद को नामांकित करने के लिए अनिच्छुक रहते हैं। जैसे कि बार-बार आवास बदलना, प्रवास के इलाके के मुद्दों के साथ पर्याप्त सामाजिक और भावनात्मक ताल्लुक नहीं होना,अपने गृह क्षेत्र की मतदाता सूची से नाम को हटाने की अनिच्छा ,क्योंकि वहां उनके पास स्थायी निवास या अपनी संपत्ति है।’
2020 में ही बनाया था एक्सपर्ट पैनल
2020 में चुनाव आयोग ने आईआईटी (मद्रास) और नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के चार-सदस्यों वाला एक एक्सपर्ट पैनल बनाया था, जो रिमोट वोटिंग की टेक्नोलॉजी पर काम करे। इस पैनल ने रिमोट वोटिंग के लिए टेक्नोलॉजी आधारित एक कंसेप्ट प्लान पेश किया था। तब इसके लिए एक आधार-लिंक्ड इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का मॉडल पेश होना था। जिसका लक्ष्य यही था कि मतदाता देश के किसी कोने में रहकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर सके। उदाहरण के लिए हैदराबाद का कोई वोटर यदि वोटिंग के दौरान दिल्ली में है तो वह दिल्ली से ही रिमोट वोटिंग मशीन के जरिए अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए मताधिकार का इस्तेमाल कर सकता है।
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‘ब्लॉकचेन‘ टेक्नोलॉजी पर आधारित !
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने पिछले साल मार्च में ही कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनावों तक रिमोट वोटिंग एक वास्तविकता हो सकती है। उन्होंने तब यह भी साफ किया था कि यह प्रोजेक्ट इंटरनेट-आधारित वोटिंग की नहीं है और ना ही इसके तहत घर से वोटिंग करने की सुविधा मिलेगी। क्योंकि, चुनाव आयोग हमेशा पारदर्शी तरीके से स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय वोटिंग सुनिश्चित करवाता है। तब बताया गया था कि इसमें ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। पूर्व वरिष्ठ उप चुनाव आयक्त संदीप सक्सेना ने कहा था कि यह सिद्धांत, ‘ बॉयोमीट्रिक डिवाइसों और एक वेब कैमरा के साथ जुड़े खास इंटरनेट लाइनों पर व्हाइट-लिस्टेड आईपी डिवाइस पर नियंत्रित वातावरण में दो-तरफा इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणाली है।’ इस मशीन के जरिए वोट डालने के लिए वोटर को पहले से तय कए गए पोलिंग बूथ पर जाना होगा।