कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वीर सावरकर को लेकर भी बयान दिया था। इस बयान को लेकर वहां विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। वही, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी राहुल गांधी के इस बयान पर नाराजगी जताई है। उद्धव ठाकरे ने तो गुरुवार को ही साफ कह दिया था कि इस तरह के बयान स्वीकार नहीं है। अब उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाने वाले शिवसेना के बड़े नेता संजय राउत ने भी साफ तौर पर कह दिया है कि महाराष्ट्र आकर वीर सावरकर के बारे में इस तरह की बात करना स्वीकार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता भी राहुल गांधी के समर्थन में नहीं खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने से महा विकास आघाडी में खलबली मच सकती है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी के गठबंधन में कांग्रेस उद्धव के शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी है।
इसके साथ ही संजय राउत ने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हम वीर सावरकर को मानते हैं और फर्जी हिंदुवादी से पूछना चाहते हैं कि हम वीर सावरकर को 10 साल के लिए भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी सत्ता में होने के बावजूद हमारी मांगें क्यों नहीं पूरी कर रही है? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा तानाशाही के खिलाफ है और बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दों पर कांग्रेस को इसमें समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए दावा किया कि उन्होंने हिन्दुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर निशाना नहीं साधा है बल्कि सिर्फ ‘‘ऐतिहासिक तथ्यों’’ को सामने रखा है। उन्होंने कहा कि गांधी ने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के (तुलनात्मक) संदर्भ में सावरकर का जिक्र किया था, कि कैसे ब्रिटिश सरकार के सामने मुंडा ने सिर नहीं झुकाया और सावरकर ने दया याचिका पर हस्ताक्षर कर दिये, यह तथ्य है।
राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और कारागार में रहने के दौरान उन्होंने डर के कारण माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी और अन्य समकालीन भारतीय नेताओं को धोखा दिया था। राहुल गांधी ने विनायक सावरकर के ‘माफीनामे’ की प्रति भी दिखाई। उन्होंने दावा किया कि सावरकर जी ने अंग्रेजों की मदद की। उन्होंने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कहा – सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जब सावरकर जी ने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए तो उसका कारण डर था। अगर वह डरते नहीं तो वह कभी हस्ताक्षर नहीं करते। इस तरह से उन्होंने महात्मा गांधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा किया।