केरल में राज्यपाल (Governor) और सरकार के बीच तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। दरअसल CPIM ने ऐलान किया है कि वह अन्य वाम दलों, डीएमके (DMK) नेता के सहयोगियों के साथ बड़े पैमाने पर राजभवन मार्च का आयोजन करेगा। सांसद तिरुचि शिवा विरोध में हिस्सा लेंगे। सीपीआईएम राज्य सचिव एमवी गोविंदन मास्टर ने कहा कि राज्यपाल को लंबे समय तक विधेयकों को रखने की अनुमति नहीं है। हम इस अनिश्चितता से लड़ने के लिए किसी भी हद तक आगे बढ़ेंगे।

राज्यपाल का बयान
सीपीआईएम के इस बयान पर राज्यपाल ने कड़ी टिप्पणी की है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने कहा, ‘उन्होंने संवैधानिक तंत्र के पतन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मैं उनसे आग्रह करूंगा कि आगे बढ़ो, और समस्याएं पैदा करो, राजभवन में घुसो, अगर आपमें हिम्मत है, तो सड़क पर मुझ पर हमला करो। सीएम का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि मैं कौन हूं, मैं जानता हूं कि वह कौन हैं।’
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सरकार पर आरोप
तिरुवनंतपुरम के महापौर के कार्यालय के एक कथित पत्र की खबरों का हवाला देते हुए की, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ‘प्राथमिकता सूची में शामिल’ कार्यकर्ताओं को नागरिक निकाय में अस्थायी पदों पर नियुक्त करने के लिए कहा गया था। राज्यपाल ने कहा, ‘मीडिया में जिस पत्र की चर्चा है, वह इस तरह का पहला मामला नहीं है। ऐसे कई पत्र मौजूद हैं। केरल में वे एक कुलीनतंत्र की तरह बन गए हैं।’उन्होंने यह भी दावा किया कि लोग पूछ रहे हैं कि क्या केरल सरकार के तहत सभी नौकरियां कार्यकर्ताओं के लिए आरक्षित हैं और विश्वविद्यालय की नौकरियां तिरुवनंतपुरम में शक्तिशाली लोगों के लिए हैं?
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