ज्ञानवापी मामले को लेकर के अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी अपनी दलील दे रहे हैं. हिंदू पक्ष जहां इससे मंदिर बता रहा है तो वहीं मुस्लिम पक्ष औरंगजेब को बादशाह बताकर मस्जिद के पक्ष में अपनी दलील दे रहा है. लेकिन इस बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास की परीक्षा का प्रश्न पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रश्न पत्र में जो सवाल पूछे गए हैं उन पर ज्ञानवापी केस का अस्तित्व टिका है.
दरअसल, ज्ञानवापी विवाद के बीच स्नातक प्रथम वर्ष के द्वितीय समेस्टर के सेकेंड पेपर मध्यकालीन भारत एवं उसके इतिहास के विद्यार्थियों से दो प्रश्न पूछे गए हैं, जिसमें आलमगीर मस्जिद और आदि विशेश्वर का भी जिक्र किया गया है. इतिहास के इस पेपर की परीक्षा 24 सितम्बर को आयोजित की गई थी. बड़ी बात यह है कि इस पेपर में जिस आलमगीर मस्जिद व आदि विशेश्वर का जिक्र किया गया है, दोनों ही विवादित मुद्दे हैं और मामला कोर्ट में भी है. प्रश्न पत्र में बकायदा पूछा गया है कि, “औरंगजेब ने काशी के आदि विशेश्वर मंदिर का विध्वंस किया. इस बात का जिक्र किसने और किस पुस्तक में किया है?” वहीं दूसरा सवाल आलमगीर मस्जिद को लेकर पूछा गया है. “मासिर-ए-आलमगीरी के प्रकाश में औरंगजेब की धार्मिक नीति एवं मंदिरों को तोड़ने का वर्णन कीजिए”. काशी हिंदू विश्वविद्यालय का ये प्रश्न छात्रों के साथ पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
BHU प्रोफेसर ने कही ये बात
इस बारे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि जिस प्रश्न पत्र की चर्चा हो रही है, वह प्रश्न पत्र मध्यकालीन भारत का है. इस प्रश्न पत्र में बाबर, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब के जितने भी कृत्य व नीतियां हैं, उनका अध्ययन कराया जाता है. इसलिए उनके बारे में प्रश्न पूछना भी लाजमी है. उन्होंने बताया कि जब 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई तो 1710 में मासिर-ए-आलमगिरी एक पुस्तक लिखी गई. पुस्तक को लिखने वाले इतिहासकार औरंगजेब के जमाने के थे और उन्होंने उस समय की धार्मिक नीति और मंदिरों के विध्वंस की नीति के बारे में लिखा है. उसमें उन मंदिरों की सूची दी है, जिसे नष्ट किया गया. इसके साथ ही आलमगीर व आदि विशेश्वर का भी वर्णन किया गया है.
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विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम से ही पूछे गए प्रश्न
उन्होंने कहा कि अब तक औरंगजेब को सेक्युलर बताने के लिए कांग्रेसी व वामपंथियों ने एक मनगढ़ंत कहानी लिखी और इस कहानी को बहुत विकसित किया. इसलिए अब तक औरंगजेब की धार्मिक नीति को लेकर सवाल पूछा जाता था. लेकिन इतिहास में हमेशा नए शोध और अध्ययन होते रहते हैं, इसलिए ये प्रश्न पूछना भी लाजमी हैं और यह दोनों प्रश्न विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम से ही पूछे गए हैं, जिनका अध्ययन उन्हें कराया जाता है.