पीएम मोदी की आलोचना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू आपस में उलझ गए। जस्टिस श्रीकृष्णा के एक बयान पर रिजिजू इतना उखड़े कि इमरजेंसी की याद दिलाकर ऐसे लोगों पर तीखा तंज कसा जो पीएम नरेंद्र मोदी की गाहे बगाहे आलोचना करते हैं।
दरअसल जस्टिस श्रीकृष्णा ने लोकतंत्र के मौजूदा हालातों को इंगित कर कहा था कि वो किसी पब्लिक स्कवायर पर खड़े होकर पीएम मोदी की आलोचना नहीं कर सकते। उनका कहना था कि अगर वो कहे कि उन्हें पीएम का चेहरा पसंद नहीं है तो ऐसा करने पर न जाने किस जु्र्म में पकड़कर उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा। कोई उन्हें ये तक नहीं बताएगा कि उनका कसूर क्या था।
द हिंदू अखबार से साक्षात्कार में जस्टिस श्रीकृष्णा ने देश के मौजूदा हालातों पर चिंता जाहिर की थी। उनका कहना था कि देश में जो भी माहौल दिख रहा है वो सही नहीं कहा जा सकता। लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करना नैसर्गिक होता है। इसके लिए किसी पर बंदिशें नहीं लगाई जा सकतीं। ये लोगों का मूलभूत अधिकार है और सरकार इसे कैसे भी दबाकर नहीं रख सकती।
रिजिजू ने पलटवार करते हुए इमरजेंसी की याद दिलाई। उनका कहना था कि लोकप्रिय पीएम मोदी की आलोचना करने वाले लोगों को शायद इमरजेंसी याद नहीं। कांग्रेस ने तब कैसे लोकतंत्र का गला घोंटा था इन लोगों को याद नहीं आएगा। उनका कहना था कि ये लोग किसी रीजनल पार्टी के सीएम के बारे में भी कुछ नहीं कहते। करके देखे उन्हें हकीकत पता चल जाएगी। रिजिजू का कहना था कि उन्हें नहीं पता कि सुप्रीम कोर्ट का एक पूर्व जज ऐसा कह रहा है। ऐसा करके वो उस संस्थान की साख गिरा रहा है जिसमें वो इतने सालों तक काम कर चुका है।
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जस्टिस श्रीकृष्णा का कहना था कि वो सिविल सर्वेंट के बारे में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उनका इशारा तेलंगाना की उस IAS अधिकारी पर था जिसने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार की आलोचना की थी। जस्टिस श्रीकृष्णा का कहना था कि उनकी चिंता कानून और उसके सरकारी इस्तेमाल को लेकर है।