यूपी में भवन बनाने के लिए जरूरी मानचित्र (house map approval) को पास कराना अब महंगा हो जाएगा। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मानचित्र स्वीकृति के समय लिए जाने वाले अंबार शुल्क और जल शुल्क की दरों को सभी विकास प्राधिकरणों के लिए एक समान करते हुए उनमें बढ़ोतरी संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
अंबार शुल्क और जल शुल्क की दरों में बढ़ोतरी
अंबार शुल्क की मौजूदा दर 40 रुपये प्रति वर्गमीटर को 25 प्रतिशत बढ़ाते हुए 50 रुपये प्रति वर्गमीटर किया गया है। इसी तरह जल शुल्क की दरें भी एक जैसी करते हुए 50 रुपये प्रति वर्गमीटर तय की गई है।
सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
इनमें जल व अंबार शुल्क नियमावली-2022, उत्तर प्रदेश ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीति-2022 और टीडीआर (विकास अधिकारों का हस्तांतरण) उपविधि संबंधी प्रस्ताव थे।
मंजूर किए गए प्रस्तावों के संबंध में अधिकृत तौर पर तो कोई जानकारी नहीं दी गई लेकिन सूत्रों के अनुसार कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने से अब राज्य के किसी भी विकास प्राधिकरण क्षेत्र में भवन का नक्शा पास कराने पर एक जैसा ही जल व अंबार शुल्क देना होगा।
अब 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर लगेगा जल शुल्क
विकास एवं निर्माण दोनों में जल शुल्क 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर लगेगा। अभी कोई शासनादेश या नियमावली न होने से कई प्राधिकरण जहां जल शुल्क वसूल ही नहीं रहे थे, वहीं कई जगह दूसरे आधार पर जल शुल्क लिया जा रहा है।
प्राधिकरण तभी जल शुल्क ले सकेंगे जब वह जलापूर्ति करेंगे। प्राधिकरण द्वारा विकसित योजना के बाहर भी वे जल शुल्क नहीं ले सकेंगे।
भवन बनाने के लिए सार्वजनिक-प्राधिकरण की भूमि या सड़क पर निर्माण सामग्री रखने के एवज में वसूला जाने वाला अंबार शुल्क भी ज्यादातर प्राधिकरणों में अभी शासनादेश के तहत 40 रुपये प्रति वर्गमीटर लिया जा रहा है। अब इसे बढ़ाकर 50 रुपये प्रति वर्गमीटर किया गया है।
यह दर एक हजार वर्गमीटर तक भवन के तल क्षेत्रफल के लिए रखी गई है। एक हजार से पांच हजार वर्गमीटर के भूखंड पर 40 रुपये, पांच हजार से 10 हजार तक पर 35 रुपये और 10 हजार वर्गमीटर से ज्यादा तल क्षेत्रफल के भूखंड पर मानचित्र पास कराने के लिए 25 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से अंबार शुल्क देना होगा।
सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट की बैठक में अंबार शुल्क की दरों को लेकर सवाल उठाए गए थे। ऐसे में दरों पर फिर से विचार भी किया जा सकता है।
मंजूर की गई उत्तर प्रदेश ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीति के तहत अब मेट्रो जैसी पब्लिक मास ट्रांजिट परियोजनाओं के ट्रांजिट कारिडोर की मध्य रेखा से दोनों ओर 500 मीटर के दायरे में सघन नियोजित विकास और मिश्रित भू-उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
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इसी तरह टीडीआर(विकास अधिकारों का हस्तांतरण) उपविधि को हरी झंडी दिए जाने से अब महायोजना में किसी जन सुविधा के लिए आरक्षित भूमि यदि प्राधिकरण लेता है तो उसके एवज में भूमि स्वामी को प्रतिकर के रूप में डेवलपमेंट राइट सर्टिफिकेट (डीआरसी) दिया जाता है जिसमें अनुमन्य एफएआर का उल्लेख होता है। भू-स्वामी इसे बेच भी सकेगा।