आरक्षण के मुद्दे पर राजस्थान में भाजपा के दो सांसद आपस में भिड़े, एक ने मांगा दूसरे से इस्तीफा

देश की संसद और विधानसभा से लोग उम्मीद करते हैं कि यहां बैठे सदस्य उनके लिए बेहतर कानून बनाएं, देश के जरूरतमंद तबके को आरक्षण मुहैया कराएं, गरीबों के हितो का खयाल रखें, लेकिन आदिवासियों को आरक्षण बिल को लेकर भाजपा के दो सांसद आपस में भिड़ गए। राजस्थान के दौसा से भाजपा सांसद जसकौर मीणा ने कहा कि जबसे मैं सांसद हूं,मैंने अपने बच्चों को कभी भी आरक्षण का लाभ नहीं उठाने दिया। मेरे जैसे सक्षण लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए।

भाजपा सांसद ने अपनी ही पार्टी की सांसद से मांगा इस्तीफा भाजपा सांसद के इस बयान के बाद राज्यसभा में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा काफी नाराज हो गए। उन्होंने जसकौर पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पहले सांसद महोदया को अपनी आरक्षित सीट से इस्तीफा दे देना चाहिए। इस्तीफा देने के बाद ही उन्हें इस तरह के बड़े दावे करने चाहिए। अहम बात है कि दोनों ही नेता भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और दोनों ही राजस्थान से भाजपा के सांसद हैं। ऐसे में जिस तरह से दोनों नेताओं के बीच सदन के भीतर बहस देखने को मिली उसकी काफी चर्चा हो रही है।

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जसकौर ने कहा कि हम आरक्षण नहीं लेते जिस तरह से किरोड़ी लाल मीणा ने जसकौर मीणा पर पलटवार किया, उसके जवाब में जसकौर ने कहा कि मैं आपके सामने बैठी हूं, मैं ना तो कॉलेज गई, ना स्कूल में बढ़ी। सांसद बनने के बाद मैंने अपने बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं दिलाया। हम सक्षम लोगों से अपील करते हैं कि वह इस समुदाय के कम से कम पांच गरीब बच्चों को पढ़ाएं। मैंने खुद 158 बच्चियों को इस साल निशुल्क पढ़ा रही हूं और अगले साल इस संख्या को और बढ़ाऊंगी। हम बराबरी के आदर्श पर भरोसा करते हैं, हम भाजपा की विचारधारा को मानने और उसका पालन करने वाले लोग हैं। और आरक्षण की मांग किरोड़ी लाल ने कहा कि जसकौर कुछ भी कह सकती हैं, मुझे लगता है कि एसटी को और आरक्षण देने की जरूरत है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि उन्होंने आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा है, उन्होंने सवाई माधोपुर सीट से चुनाव लड़ा था। उनके दामाद आईपीएस अधिकारी हैं और आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। लिहाजा जनता के बीच इस तरह का बयान निराधार है। राजस्थान में 64 फीसदी आरक्षण बता दें कि राजस्थान में कुल 64 फीसदी आरक्षण दिया जाता है, एससी को 16 फीसदी, एसटी को 12 फीसदी, ओबीसी को 21 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। राजस्थान में आरक्षण का सबसे अधिक लाभ मीणा समुदाय को होता है। जिस तरह से भाजपा के दोनों नेताओं के बीच नोंकझोंक देखने को मिली उसके बाद माना जा रहा है कि अगले साल 2023 में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में आरक्षण बड़ा मुद्दा होने वाला है।