सेना की 15वी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने 92 बेस अस्पताल में उपचाराधीन निरंजन कुमार सिंह को पाकिस्तानी आतंकियों मोहम्मद भाई और अरसलान के मारे जाने की सूचना देते हुए कहा कि तुमने कहा था कि छोड़ना नहीं उन दोनों को। हमने मार दिया उन्हें।
यह सुनकर निरंजन खुश तो हुआ, लेकिन कुछ मायूस भी,क्योंकि वह खुद उन्हें अपने हाथों से मौत के घाट नहीं उतार पाया। आईसीयू में भर्ती निरंजन कुमार किसी तरह से अपने गुस्से को काबू में रख दुआ कर रहा था कि वह जल्द ठीक हो, उन्हें ठिकाने लगाए जिन्होंने उस पर और उसके साथी पर पीछे से हमला किया था। हमले में उसका साथी वीरगति को प्राप्त हुआ था।
एएसआई निरंजन कुमार सिंह सीआरपीएफ के उस गश्तीदल का नेतृत्व कर रहा था, जो चार अप्रैल की शाम को श्रीनगर में गाजापट्टी के नाम से कुख्यात मैसूमा के भीतरी हिस्से में गश्त कर रहा था। वह एक संकरी गली के मुहाने पर खड़ा था कि अचानक आतंकी आए और उन्होंने पीछे-से फायरिंग की। इसमें एक सीआरपीएफकर्मी वीरगति को प्राप्त हुआ, जबकि निरंजन कुमार गंभीर रूप से जख्मी हो गया था।
सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय निरंजन कुमार सिंह से छह अप्रैल को मिलने अस्पताल पहुंचे थे,क्योंकि उसे उसी दिन होश आया था। उन्होंने कुशलक्षेम जानते हुए कहा था कि हौसला रखो। हम उनको मार देंगे। यह सुनते ही घायल निरंजन कुमार ने अपना हाथ धीरे से उठाते हुए धीमी-सी आवाज में उन्हें रोकने का प्रयास करते हुए कहा था कि आप नहीं, मैं मारुंगा। यह सुनते ही कोर कमांडर ने उसे कहा था कि तुम मारोगे, ठीक है, आप ही मारोगे। बहु़त गुस्सा है तुम्हें, यह गुस्सा अच्छा है। हां तैयार होकर आपने ही उसे मारना है। ठीक है, न। यह सुनकर निरंजन को कुछ तसल्ली हुई।
इस बीच, पुलिस ने हमलावर आतंकियों को पकड़ने के लिए अभियान चला रखा था। इतवार 10 अप्रैल को पता चला कि मैसूमा में हमला करने वाले दोनों पाकिस्तानी आतंकी करीब तीन किलोमीटर दूर बिशंबर नगर में एक मकान में पेईंग गेस्ट बनकर रह रहे हैं। सुरक्षाबलों ने उन्हें वहां घेर लिया और फिर हुई मुठभेड़ में दोनों पाकिस्तानी आतंकी मारे गए। इस दौरान तीन पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गए। मारे गए आतंकियों की पहचान मोहम्मद भाई उर्फ अबु कासिम उर्फ मीर शोएब उर्फ मुदस्सर और अबु अरसलान उर्फ खालिद उर्फ आदिल के रूप में हुई।
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दोनों आतंकियोंं के मारे जाने के अगले दिन सोमवार को कोर कमांडर यह खुशखबरी लेकर फिर निरंजन के पास पहुंचेद्ध उन्होंने निरंजन से कहा कि तुम्हें पता है कि उन दोनों को मार दिया। तुम उनको मारना चाहते थे। इस पर निंरजन ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा- बहुत अच्छा। फिर कुछ रुका और बोला कितना अच्छा होता कि मैं ही उन्हें मारता। मैं उन्हें नहीं छोड़ता। उन्होंने पीछे से वार किया था। अगर वह सामने से आते तो मैं यहां नहीं होता, वह जरूर कब्र में होते।