दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी के बीच शिक्षा व्यवस्था को लेकर तकरार जारी है। इसी कड़ी में दो दिन पहले मनीष सिसोदिया ने गुजरात के सरकारी स्कूलों का दौरा किया था, वहां से लौटने के बाद अब उन्होंने एक पत्र लिखकर गुजरात के शिक्षा मंत्री को दिल्ली के सरकारी स्कूल देखने के लिए बकायदा निमंत्रण भेजा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि आप दिल्ली के सरकारी स्कूल देखने के लिए समय दें, हम आपका स्वागत करेंगे और आपको सरकारी स्कूलों की दशा दिखाएंगे। उन्होंने इसके लिए गुजरात के मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया है।

मालूम हो कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया सोमवार को गुजरात के शिक्षा मंत्री के गृह जिले भावनगर पहुंचे थे। वहां एक सरकारी स्कूल का दौरा करने के बाद उन्होंने कहा कि स्कूल में छात्र छात्राओं के बैठने की व्यवस्था नहीं है तथा दीवारें भी जर्जर है। इससे पहले गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी ने आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली की स्कूल को देखने आने के लिए दिए गये न्यौते का कोई जवाब नहीं दिया था, अब मनीष सिसोदिया ने फिर से मुख्यमंत्री के माध्यम से पत्र भेजकर दोबारा न्योता दिया है। दरअसल इस साल नवंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने है। इसी वजह से आम आदमी पार्टी राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है इसलिए वह बार-बार राज्य सरकार को शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा के स्तर पर बात करने की चुनौती देती है।
हालांकि गुजरात सरकार ने भी राज्य में इस स्मार्ट एवं मॉडल स्कूल बनाने के लिए बजट का विशेष प्रावधान किया है लेकिन दिल्ली मॉडल जैसी स्कूल गुजरात में नहीं होने का डर भाजपा में भी साफ झलकता है। आम आदमी पार्टी इसी बात का लगातार फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद ट्वीट कर गुजरात सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि 27 साल के शासन के बावजूद भाजपा गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर नहीं कर सकी।
बता दें कि दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने गत दिनों गुजरात के शिक्षामंत्री जीतूभाई वाघाणी को दिल्ली की स्कूल देखने आने का न्यौता दिया था। वाघाणी दिल्ली तो नहीं गये लेकिन गुजरात में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वालों को एक बयान में यह कह दिया कि गुजरात में पले बड़े हुए, यहां की स्कूल में पढ़े-लिखे अब यह अच्छा नहीं लगता है तो ऐसे अभिभावक अपने बच्चों के लिविंग सर्टिफिकेट लेकर किसी दूसरे राज्य या देश में चले जाएं जहां की शिक्षा उन्हें अच्छी लगती है। इस बयान पर चारों तरफ से घिरने के बाद वाघाणी ने अपने बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़कर कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया।
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