मुंबई: लगभग ढाई दशक के साथ के बाद महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (Shivsena) की राहें अलग-अलग हो गई थीं. फिर शिवसेना के मुख्यमंत्री की चाहत में सेना ने बेमेल गठबंधन करते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई थी, जिसका नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री पद उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) के पास आया था. अब कई राज्यों की तर्ज पर कांग्रेस की महाराष्ट्र ईकाई में भी अंदरूनी कलह सतह पर आने लगी है. बताते हैं कि कांग्रेस विधायकों ने सरकार में शामिल कांग्रेसी मंत्रियों के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है और कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है.
अपने ही मंत्रियों से नाराज हुए कांग्रेसी विधायक
सरकार में शामिल मंत्रियों से नाराज 25 कांग्रेसी विधायकों का आरोप है कि उनकी ही पार्टी के मंत्री उनकी चिंताओं पर बेरुखी का रवैया अपनाए हुए हैं. इन विधायकों ने एक पत्र में सोनिया गांधी से ‘चीजों को ठीक करने’ के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. जाहिर है अपने अस्तित्व में आने के शुरुआती दिनों से ही भीतरी द्वंद्व झेल रही महा विकास अघाड़ी के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधायकों ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है, ‘अगर मंत्री विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले काम को लेकर की जाने वाली अनुरोधों की अनदेखी करेंगे, तो पार्टी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कैसे करेगी?’
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पंजाब का उदाहरण दे की हस्तक्षेप की मांग
कांग्रेस के अन्य विधायकों की भी कुछ ऐसी ही शिकायत है. उनका आरोप है कि कांग्रेस मंत्रियों की अनदेखी से राज्य में राक्रपा को बढ़त मिल गई है. इन कांग्रेसी विधायकों ने शिकायती पत्र में कहा है कि कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से पिछड़ गई है, क्योंकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार नियमित रूप से अपने विधायकों से मिलते हैं. उनकी शिकायतें सुनते हैं. कांग्रेस के एक अन्य विधायक ने कहा, ‘राकांपा हम पर हमला कर रही है. राकांपा मंत्रालयों को अधिक धन आवंटित किया जाता. अगर चीजें ऐसी ही रहीं, तो महाराष्ट्र में कांग्रेस अन्य राज्यों की तरह ही हाशिए पर चली जाएगी.’ इसके लिए कांग्रेसी विधायकों ने पंजाब का उदाहरण दिया है, जहां आंतरिक कलह ही कांग्रेस पर भारी पड़ी.