कश्मीरी पंडितों के पलायन और उस विभीषिका को बयान करने वाली फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ सिनेमाघरों में धमाल मचा रही है, वहीं इस फिल्म पर सियासत भी खूब हो रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से समाजवादी पार्टी (एसपी) में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को अधूरी फिल्म बताया है। उन्होंने कहा है कि इसमें कश्मीरी पंडितों का ही उत्पीड़न दिखाया गया है, पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मुसलमानों और पंडितों पर हुए अत्याचार को नहीं दिखाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे भाईचारा और आपसी सौहार्द खत्म होगा।
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर गुरुवार को ट्वीट के जरिए अपनी प्रक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि ‘फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में केवल कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न दिखाया गया है, जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कश्मीरी मुसलमानों, पंडितों और सरदारों को बुरी तरह समान रूप से उजाड़ा व प्रताड़ित किया गया था। पूरा दृश्य दिखाएं। अधूरी फिल्म दिखाने से आपसी सौहार्द और भाईचारा खत्म होगा।’
फिल्म द कश्मीर फाइल्स में केवल कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न दिखाया गया है जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कश्मीरी मुसलमानों, पण्डितो एवं सरदारों को बुरी तरह समान रूप से उजाड़ा व प्रताड़ित किया गया था। पूरा दृश्य दिखाएं। अधूरा फिल्म दिखाने से आपसी सौहार्द और भाईचारा खत्म होगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसके बाद एक और ट्वीट किया। जिसमें वह एक वीडियो अटैच कर लिखते हैं कि ‘सन 1990 से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तानियों द्वारा लगातार कश्मीरी मुसलमानों, पंडितों एवं सरदारों को उजाड़ने व प्रताड़ित करने की घटना चली आ रही थी, इसके लिए पूर्व की समस्त केंद्र सरकारें जिम्मेवार रही हैं। यहां तक कि तीन बार प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी भी।’
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इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर पत्रकारों के सवाल के जवाब में भाजपा सरकार पर तंज कसा था। उन्होंने कहा कि यदि कश्मीर फाइल्स फिल्म बनी है तो लखीमपुर फाइल्स भी बननी चाहिए। वहां जीप से किसानों को कुचल दिया गया था। वह समय भी आए और लखीमपुर फाइल्स पर भी फिल्म बने।
बता दें कि विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है कि किस तरह 1990 में कश्मीर में पंडितों पर अत्याचार हुआ। कश्मीरी पंडितों को दहशतगर्दों ने धर्म बदलने, भागने या फिर मारे जाने का विकल्प दिया था। कश्मीरी पंडितों के साथ हुई कई क्रूर घटनाओं को फिल्म में दर्शाया गया है।