पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) अब अपनी पार्टी लोकतांत्रित जनता दल (लोजद) का विलय अब लालू प्रसाद यादव के राजद में कराने जा रहे हैं. 20 मार्च को यह विलय होगा. बुधवार को शरद यादव के बयान जारी करते हुए इसकी जानकारी दी है. मौजूदा राजनीतिक स्थिति और बिखरे हुए जनता परिवार को साथ लाने की दलील देते हुए उन्होंने इसे जरुरी कदम बताया.
शरद यादव ने लोजद का राजद के साथ विलय कराने के निर्णय को सामने रखते हुए कहा कि जदयू से अलग होकर उन्होंने 2018 में अपनी इस पार्टी का गठन किया था. कहा कि वर्तमान हालत ये है कि भाजपा सरकार पूरी तरह विफल रही है. लोग अभी एक मजबूत विपक्ष की ओर झांक रहे हैं. वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए ये फैसला लिया गया है ताकि बिखरे हुए जनता परिवार को फिर एकजुट किया जा सके.
गौरतलब है कि नीतीश कुमार जब महागठबंधन को छोड़कर जब एनडीए में आए तो शरद यादव ने उनका साथ छोड़कर अपनी खुद की एक पार्टी का गठन कर लिया था. वहीं शरद यादव की अब सेहत भी नासाज रहती है. उनसे मिलने जीतन राम मांझी व तेजस्वी यादव भी पहले जा चुके हैं. इसके साथ ही शरद यादव के सामने एक नयी समस्या सामने आ गयी है कि हाइकोर्ट ने उन्हें आवंटित सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दे दिया है.
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शरद यादव का सरकारी बंगला दिल्ली के 7 तुगलक रोड़ में है. शरद यादव को 2017 में ही राज्यसभा के सांसद के तौर पर अयोग्य ठहरा दिया गया था. शरद यादव के राज्यसभा की सदस्यता को अयोग्य ठहराये 4 साल से अधिक का समय हो चुका है.
अदालत के आदेश के बाद अब शरद यादव को 15 दिनों के अंदर बंगला खाली करना पड़ेगा. शरद यादव ने मीडिया के सामने खुलकर अपनी पीड़ा रखी थी और बंग्ला खाली करवाने को लेकर निराशा जाहिर किया था. वहीं अब यह कयास लगाये जा रहे हैं कि राजद उन्हें राज्यसभा भेज सकता है.