उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतगणना के रुझानों में भाजपा को जबर्दस्त बढ़त मिल चुकी है। वहीं सत्ता में आने का सपा का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है। अखिलेश यादव जब से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष बने तब से उनके खाते में हार ही आयी।
मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 224 सीटें हासिल हुईं थीं। मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश न तो सरकार ठीक से चला पाये और न ही संगठन। सबसे पहले अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को ही ठिकाने लगाने का काम किया। वहीं अखिलेश की कार्यशैली से नाराज सपा के कई बड़े नेता भी सपा छोड़कर चले गये। अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में सपा की करारी हार हुई। मुलायम सिंह ने जहां प्रदेश में पार्टी के 23 सांसद जितवाये थे वहीं अखिलेश के समय वर्ष 2014 में सपा के मात्र पांच प्रत्याशी ही लोकसभा चुनाव जीत सके थे। इसके बाद 2017 का विधानसभा चुनाव हुआ। वर्ष 2012 में 224 सीटें जीतने वाली सपा सत्ता में रहने के बावजूद 2017 में महज 47 सीटें ही जीत सकी। यह सपा के लिए करारी हार थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में भी सपा की जबर्दस्त हार हुई। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा की जबर्दस्त हार होती दिख रही है। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश अपने चाचा शिवपाल को मनाने में सफल रहे, लेकिन उसका खास असर मतदाताओं पर नहीं पड़ा।
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सपा अध्यक्ष की भाषा शैली एवं कार्यकर्ताओं के प्रति अड़ियल रवैया उनकी हार का कारण बना। अपनी सभाओं में अखिलेश यादव लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते थे। वहीं पार्टी के नेताओं के प्रति भी उनका रवैया ठीक नहीं रहा। अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकताओं के अलावा अखिलेश प्रेसवार्ताओं में पत्रकारों का भी सार्वजनिक अपमान करने से नहीं चूकते थे। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि अखिलेश यादव एक असफल मुख्यमंत्री, असफल अध्यक्ष और असफल पुत्र साबित हुए हैं।