पुरानी रियासतें खत्म होने के बाद कई राजघरानों के प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में शामिल होते हुए चुनाव के रास्ते सदन तक का सफर तय किया। इस बार सोनभद्र की घोरावल सीट पर अगोरी-बड़हर राजघराने की बहू विदेश्वरी सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। हालांकि पहले चर्चा यह थी कि टिकट राजघराने की बेटी दीक्षा को मिल सकता है। ऐसे में महत्वाकांक्षा और विचारधाराओं की लड़ाई घर तक पहुंच गई। दीक्षा ने हाल ही में लखनऊ जाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। हालांकि वह अपनी भाभी के खिलाफ भाजपा के पक्ष में खुलकर प्रचार नहीं कर रही हैं।

बड़हर राजघराने के कुंवर अभ्युदय बह्मशाह के निधन के बाद से उनकी पत्नी विदेश्वरी सिंह राजस्थान स्थित अपने मायके में रहती थीं। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विदेश्वरी को घोरावल से प्रत्याशी बना दिया। चर्चा है कि स्व. कुंवर अभ्युदय ब्रह्म की बहन राजकुमारी दीक्षा इसी सीट से अपनी दावेदारी कर रही थीं। टिकट नहीं मिला तो उन्होंने देरी न करते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। विचारों का युद्ध राजघराने के भीतर चल रहा है, लेकिन दोनों ननद-भौजाई इस पर टिप्पणी करने से यह कहकर इन्कार कर रही हैं कि यह घर का मामला है।
जनसंघ से विधायक चुने गए थे आनंद ब्रह्मशाह : अगोरी किले का स्वामित्व रखने वाले बड़हर राज परिवार के राजा रहे आनंद ब्रह्म शाह राबर्ट्सगंज से वर्ष 1957 में भारतीय जनसंघ से विधायक चुने गए थे। आदिवासी बहुल जिले के मतदाताओं का मिजाज शुरू से ही लहरों के विपरीत चलने का रहा है। वर्ष 1957 में पूरे देश-प्रदेश में जब कांग्रेस की लहर थी, तब भी राबर्ट्सगंज सीट जनसंघ के दीपक से आलोकित हुई थी। यह सीट सिर्फ राबर्ट्सगंज के नाम से हो गई थी। 1957 में हुए इस चुनाव में भी एक सीट से दो उम्मीदवारों को चुनने की परंपरा थी। सामान्य वर्ग की सीट पर भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी आनंद ब्रह्म शाह ने 36,952 वोट पाकर जीत पाई थी, जबकि सुरक्षित सीट पर जनसंघ के ही शोभनाथ को 26,077 वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी। खास बात रही कि चुनाव में 80 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया था। यह अब तक को सबसे बड़ा मतदान प्रतिशत है। आनंद ब्रह्म शाह के बेटे आभूषण ब्रह्म शाह हैं और उनकी बहू हैं कांग्रेस प्रत्याशी विदेश्वरी सिंह।
आमने-सामने
विदेश्वरी सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी, घोरावल, सोनभद्र : भाजपा ज्वाइन करने पर दीक्षा को शुभकामनाएं। सर्व समाज को लेकर तरक्की की बात सिर्फ कांग्रेस ही सोच सकती है, इसलिए मैं कांग्रेस से जुड़ी हूं। इसके अलावा घर के अंदरूनी विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी।
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राजकुमारी दीक्षा, पूर्व बड़हर रियासत, सोनभद्र : कांग्रेस पार्टी से पिताजी लंबे समय से जुड़े रहे। किसी बात पर पार्टी ने उनका मान नहीं रखा, जिससे मन में नाराजगी स्वाभाविक थी। भाजपा सरकार सबसे बेहतर कार्य कर रही है, इसलिए बिना संकोच पार्टी से जुड़ गई हूं। भाभी व मेरे रिश्ते पर कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देना चाहती।
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