‘यह कुत्ता ही उत्तराखंड का चौकीदार है, शेर की तरह झपटता भी है’… अमित शाह पर हरीश रावत का पलटवार

उत्तराखंड (Uttarakhand Election 2022) के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के उस बयान को लेकर उन पर हमला बोला है, जिसमें शाह ने उन्हें ‘न घर का, न घाट का’ बताया था। रावत ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमित शाह ने उन्हें (कहावत में शामिल) ‘धोबी का कुत्ता’ नहीं कहा लेकिन अगर वह कुत्ता भी कह देते तो वह अपनी संस्कृति का पालन कर रहे हैं। मैं उन्हें और प्रधानमंत्री को फिर भी आदरणीय ही कहूंगा। रावत ने आगे कहा कि यह ‘कुत्ता’ ही उत्तराखंड के हितों का चौकीदार है और समय पर शेर की तरह झपटता है।

 


रावत से पूछा गया था कि अमित शाह ने उन्हें लेकर बयान दिया था कि हरीश रावत का हाल ऐसा हो गया है कि न घर का न घाट का। वह जिस भी सीट से लड़ना चाहते हैं, उन्हें लड़ने नहीं दिया जाता। इस पर जवाब देते हुए रावत ने कहा, ‘वह (अमित शाह) मुझको रणछोड़दास कहते हैं। मैं उसको भी उनकी दी हुई उपाधि समझ लेता हूं। जो उन्होंने हार की बात की है, लोकतंत्र के सेवक जीतते भी हैं, हारते भी हैं लेकिन सेनापति सेनापति होता है। नेपोलियन कई युद्ध हारा लेकिन अंततोगत्वा उससे नेपोलियन का महत्व कम थोड़े होता है।’

‘अपनी संस्कृति का पालन कर रहे हैं शाह’
रावत ने आगे कहा, ‘वह (अमित शाह) कह रहे हैं, ‘न घर का न घाट का’, उन्होंने धोबी का कुत्ता नहीं कहा लेकिन अगर कुत्ता भी कह देते तो वह अपने संस्कृति का पालन कर रहे हैं। हमारी अपनी संस्कृति है। मेरे लिए प्रधानमंत्री भी आदरणीय हैं, अमित शाह भी आदरणीय हैं।’ उन्होंने कहा कि वो जब यहां आकर मेरी प्रशंसा में कुछ कह देते हैं, मुझे याद करते हैं तो मैं ‘थैंक्यू अमित शाह’, ‘थैंक्यू नरेंद्र मोदी’ कहता हूं।

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रावत ने कहा कि अब तो इस शृंखला में शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के सब सीएम और केंद्रीय मंत्री भी सम्मिलित हैं। यहां आकर हर कोई दो-चार लट्ठ इस कमजोर उत्तराखंडी हरीश रावत पर बरसा रहा है। मैं उनको लोकतंत्र का लट्ठ समझ कर थैंक्यू कह रहा हूं। रावत ने कहा, ‘उन्होंने अपनी पार्टी की शिष्टता दिखाई है लेकिन मैं अमित शाह जी से कहना चाहता हूं कि अगर वह हरीश रावत को कुत्ता भी कह रहे हैं तो यह कुत्ता ही उत्तराखंड का चौकीदार है। जब उत्तराखंड के हितों पर कहीं हमला होगा, गरीब और कांग्रेस पर हमला होगा तो उस समय यह शेर की तरह भी झपटता है, यह याद रखें।’