उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर बहस छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी जहाँ सत्ता में आने पर श्री कृष्ण जन्मभूमि को ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के तौर पर डेवलप करने की बात कर रही है, वहीं कॉन्ग्रेस ने राम मंदिर की तरह कृष्ण जन्मभूमि के डेवलपमेंट पर भी आपत्ति जाहिर की है।
कॉन्ग्रेस का मानना है कि मंदिर तो पहले से ही अच्छा बना हुआ है फिर आखिर इन सबकी क्या जरूरत। कॉन्ग्रेस कहती है कि भाजपा गैर जरूरी मु्द्दों को उठा रही है क्योंकि उनके लिए अब सब कुछ फेल हो चुका है।
बता दें कि भाजपा ने काशी मॉडल का उदाहरण देते हुए कृष्ण जन्मभूमि को अंतरराष्ट्रीय स्पॉट बनाने की बात कही थी। राज्य के विद्युत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने एएनआई को बताया कि भाजपा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर काम कर रही है।
वह बोले, “हमने 500 साल राम मंदिर के लिए इंतजार किया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा हुआ। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह हमारी सरकार ब्रज चौरासी कोस के आसपास भी विकास के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रज का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के तौर पर विकास हमारी प्राथमिकता है। अभी भी अगर ये नहीं हुआ तो कब होगा।”
भाजपा की इसी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़ा करते हुए मथुरा से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी प्रदीप माथुर ने इस पूरे मुद्दे को गैर-जरूरी बताया। उन्होंने कहा, “मथुरा और वृंदावन के मुद्दे गैर जरूरी हैं। हमारे पास तो पहले कृष्ण जन्मभूमि है वो भी व्यापक क्षेत्र में। वे इस मुद्दे को उठाना चाहते हैं क्योंकि बाकी सब चीजें फेल हो गई हैं। उन्हें लगता है कि इसे मसला बनाकर वो जीत जाएँगे लेकिन लोग इस मुद्दे को नकार देंगे।” साल 2017 में चुनावी मैदान में हार का सामना करने वाला कॉन्ग्रेस प्रत्याशी प्रदीप माथुर ने कहा कि लोगों के लिए यमुना प्रदूषण, रोजगार और विकास जरूरी मुद्दे हैं। मंदिर का विकास नहीं।
याद दिला दें कि कृष्ण जन्मभूमि की भाँति ही कॉन्ग्रेस ने सालों साल राम मंदिर को लेकर अपना रुख अपनाया हुआ था। पार्टी के कुछ नेताओं ने तो श्रीराम को मानने से इंकार किया था और ये तक कहा था कि राम का अस्तित्व ही रामायण के कारण है। कोई ये नहीं बता सकता है श्रीराम इतिहास का हिस्सा हैं या साहित्य का। इन चुनावों में कृष्ण जन्मभूमि के विकास का विरोध करके एक बार फिर ये बहस छेड़ दी है कि आखिर कॉन्ग्रेस हिंदुओं की भावना की कद्र कब करेगी।