प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के भारत को पूरी दुनिया में एक नई पहचान मिली है. उन्होंने कहा, “कोरोना काल के बाद विश्व एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ, नई व्यवस्थाओं की तरफ बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. यह एक ऐसा टर्निंग प्वॉइंट है कि हम लोगों को एक भारत के रूप में इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए और भारत को वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए.” वे लोकसभा (Lok Sabha) में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए बहस का जवाब दे रहे थे.
लोकसभा में अपने भाषण की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने सबसे पहले ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, ‘देश ने आदरणीय लता दीदी को खो दिया है. इतने लंबे काल तक जिनकी आवाज ने देश को मोहित किया, देश को प्रेरित भी किया, देश को भावनाओं से भर दिया. सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करते हुए, देश की एकता को भी मजबूत किया. उन्होंने करीब-करीब 36 भाषाओं में गाया है ये अपने आप में भारत की एकता और अखंडता का एक प्रेरक उदाहरण है. मैं आज आदरणीय लता जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं.’
लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन के मुख्य अंश:
देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है और यह अपने आप में एक प्रेरक अवसर है. उस प्रेरक अवसर और नए संकल्पों को लेकर देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब तक हम पूरे सामर्थ्य से,पूरी शक्ति से, पूरे संकल्प से देश को उच्चतम स्तर पर लेकर पहुंचेंगे.
आजादी के इतने सालों के बाद गरीब के घर में रोशनी होती है, तो उसकी खुशियां देश की खुशियों को ताकत देती हैं. गरीब के घर में गैस का कनेक्शन हो, धुएं वाले चूल्हे से मुक्ति हो तो उसका आनंद कुछ और ही होता है. पहले गैस कनेक्शन स्टेटस सिंबल हुआ करता था. अब गरीब से गरीब व्यक्ति तक इसकी पहुंच है और यह बहुत खुशी की बात है.
देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि सदन जैसी पवित्र जगह जो देश के लिए काम आनी चाहिए, लेकिन उसको दल के लिए काम में लेने का प्रयास हो रहा है. दुर्भाग्य ये है कि आपमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका कांटा 2014 में अटका हुआ है और उससे वो बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उसका नतीजा भी आपको भुगतना पड़ा है. देश की जनता आपको पहचान गई है, कुछ लोग पहले पहचान गए, कुछ लोग अब पहचान रहे हैं और कुछ लोग आने वाले समय में पहचानने वाले हैं.
नागालैंड के लोगों ने आखिरी बार 1998 में कांग्रेस के लिए वोट किया था, करीब 24 साल हो गए. ओडिशा ने 1995 में आपके लिए वोट किया था, सिर्फ 27 साल हुए आपको वहां एंट्री नहीं मिली. गोवा में 1994 में पूर्ण बहुमत के साथ आप जीते थे, 28 साल से गोवा ने आपको स्वीकार नहीं किया. पिछली बार 1988 में त्रिपुरा में वहां की जनता ने आपको वोट दिया था, करीब 34 साल पहले. यूपी, गुजरात, बिहार ने आखिरी बार 1985 में कांग्रेस के लिए वोट किया था, करीब 37 साल पहले. पिछली बार पश्चिम बंगाल के लोगों ने करीब 50 साल पहले 1972 में आपको पसंद किया था.
जब अहंकार की बात आ रही है तो कहना ही पड़ेगा- ”वो जब दिन को रात कहें, तो तुरंत मान जाओ. नहीं मानोगे तो वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे. जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे, वो मगरूर हैं खुद की समझ पर बेइंतहा, इन्हें आईना मत दिखाओ, वो आईने को भी तोड़ देंगे.”
हम सब संस्कार से, व्यवहार से लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध लोग हैं और आज से नहीं, सदियों से हैं. ये भी सही है कि आलोचना जीवंत लोकतंत्र का आभूषण है, लेकिन अंधविरोध लोकतंत्र का अनादर है. कभी-कभी मुझे विचार आता है उनके (कांग्रेस नेताओं) बयानों से, उनके कार्यक्रमों से, जिस प्रकार से आप बोलते हैं, जिस प्रकार से आप मुद्दों को जोड़ते हैं तो ऐसा लगता है कि आपने मन बना लिया है कि आपको 100 साल तक सत्ता में नहीं आना है.
इस कोरोना काल में कांग्रेस ने हद कर दी. पहली लहर के दौरान देश जब लॉकडाउन का पालन कर रहा था, जब WHO दुनिया भर को सलाह देता था, सारे हेल्थ एक्सपर्ट कह रहे थे कि जो जहां है वहीं पर रुके. तब कांग्रेस के लोगों ने मुंबई के रेलवे स्टेशन पर खड़े रहकर मुंबई के श्रमिकों को जाने के लिए उनको टिकट दिया गया, लोगों को जाने के लिए प्रेरित किया गया.
बीते 2 सालों में 100 साल का सबसे बड़ा वैश्विक महामारी का संकट पूरी दुनिया की मानव जाति झेल रही है. जिन्होंने भारत के अतीत के आधार पर ही भारत को समझने का प्रयास किया, उनको तो आशंका थी कि शायद भारत इतनी बड़ी लड़ाई नही लड़ पाएगा, खुद को बचा नहीं पाएगा. लेकिन आज ‘मेड इन इंडिया’ कोविड वैक्सीन दुनिया में सबसे प्रभावी है. आज भारत शत प्रतिशत पहली डोज के लक्ष्य के निकट पहुंच रहा है और लगभग 80% सेकंड डोज का पड़ाव भी पूरा कर लिया है.
कुछ लोग हैं जिनको ये इंतजार था कि ये कोरोना वायरस मोदी की छवि को चपेट में ले लेगा, बहुत इंतजार किया. अगर मोदी ‘वोकल फॉर लोकल’ कहता है, तो मोदी ने कहा तो इन शब्दों को छोड़ दो. लेकिन क्या आप नहीं चाहते कि देश आत्मनिर्भर बनें, जिस महात्मा गांधी के आदर्शों की बात करते हैं, तो इस अभियान को ताकत देने में आपका क्या जाता था. महात्मा गांधी जी के स्वदेशी के निर्णय को आगे बढ़ाइये.
सदन इस बात का साक्षी है कि कोरोना महामारी से जो स्थितियां उत्पन्न हुईं, उससे निपटने के लिए भारत ने जो भी रणनीति बनाई उसको लेकर पहले दिन से क्या-क्या नहीं कहा गया है. दुनिया के और लोगों से बड़ी-बड़ी कांफ्रेंस करके ऐसी बातें बुलवाई गई ताकि पूरे विश्व में भारत बदनाम हो. भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि महामारी के बीच 80 करोड़ से अधिक भारतीयों को मुफ्त राशन मिले. हमारी प्रतिबद्धता है कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे.