यूपी की राजनीति समझनी है, बस ये 7 नारे पढ़ें:‘इनको मारो जूते चार’ से ‘मुख्यमंत्रीजी सोफे पे, डिप्टी सीएम स्टूल पे’ तक…

देश और दुनिया में ऐसे बहुत नारे मशहूर हैं, लेकिन हम यहां यूपी के ऐसे 7 करारे नारे लेकर आए हैं, जिनसे यूपी की राजनीति की हिस्ट्री समझ आ जाती है।

नारा 1: ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’

नारे की कहानीः कांशीराम 10 साल से दबे-कुचले लोगों के लिए आंदोलन कर रहे थे। हासिल कुछ नहीं था। साल 1984 में उन्होंने ठाना कि लड़ाई अब राजनीति से होगी। 14 अप्रैल 1984 को उन्होंने बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा बनाई।

… और पहला नारा दिया ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’। ऐसा पॉपुलर हुआ कि काशीराम एक के बाद एक नारे देने लगे। उन्होंने ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ , ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा’ जैसे नारे दिए।

नतीजाः जिस बसपा ने 1991 में सिर्फ 12 सीटें जीतीं थीं, वह 1993 में 67 सीटों पर पहुंच गई। वैसे, बाद में ये नारा बसपा के गले की हड्डी बन गया था। उसकी कहानी आगे आएगी।

नारा 2ः ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’

नारे की कहानीः साल 1986, राजीव गांधी की सरकार थी। उन्होंने पहल की, 37 साल से अटके अयोध्या की किताब के पन्ने खुल गए। साल 1989, यूपी में चुनाव भी होने वाले थे। मुद्दा बस राम मंदिर का ही था। कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद तोड़ने के लिए इकट्ठा होने का ऐलान कर दिया।

तब मुलायम सिंह की सरकार थी। मुलायम ने कहा, ‘मेरे रहते बाबरी मस्जिद पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।’ साल 1990, कारसेवक मस्जिद की ओर बढ़े। मुलायम ने पुलिस को फायरिंग का आर्डर दे दिया। गोलियां चलनी शुरू हुईं। 5 कारसेवक नहीं रहे।

ठीक इसी समय भाजपा ने कल्याण सिंह को चुनाव में आगे किया। कल्याण ने राम मंदिर मुद्दे को हवा दी और शहर-शहर घूमकर ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा लगाया।

नतीजाः 1991 के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। बीजेपी ने 221 सीटें जीतीं। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने।

नारा 3ः ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम’

नारे की कहानीः साल 1992, बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़ दिया गया था। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी ली और सीएम का पद छोड़ दिया। यूपी में राष्ट्रपति शासन लगा। साल 1993, फिर चुनाव होने वाले थे। राम मंदिर फिर से सबसे बड़ा मुद्दा था।

तब भाजपा ने इस मुद्दे को अपनी मुट्ठी में कैद रखा था। लग रहा रहा था, इस बार भाजपा की एकतरफा जीत होगी। तभी मायावती का एक इंटरव्यू हुआ। उसमें उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह उनसे हाथ मिला लें तो यूपी में भाजपा और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ हो जाएगा।

मुलायम सिंह यादव ने सीरियसली ले लिया। सपा-बसपा कार्यकर्ताओं ने ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम’ का नारा लगा दिया।

नतीजाः सपा को 109 सीटें मिली। बसपा को 67 सीटें मिली थी। भाजपा की सीटें 221 से घटकर 177 ही रह गईं। बसपा और कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर मुलायम ने सरकार बना ली।

1995 में गेस्ट हाउस काण्ड हुआ। सपा विधायकों ने गेस्ट हाउस में मायावती पर हमला कर दिया था। इस कांड का असर राजनीति पर तो पड़ा ही, आने वाले चुनावी नारों पर भी पड़ा।

नारा 4ः ‘चढ़ गुंडन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर’

नारे की कहानीः साल 2007, विधानसभा चुनाव होने वाले थे। 12 साल बाद भी मायावती उस कांड को भूल नहीं पाईं। गुस्से में थर्राती मायावती ने सपा समर्थकों को गुंडे बुलाना शुरू कर दिया। उन्हीं के खिलाफ ये नारा ‘चढ़ गुंडन की छाती पर मुहर लगेगी हाथी पर’ भी बना डाला।

नतीजाः बसपा ने चुनाव में खूब वोट बटोरे। इसी की बदौलत 206 सीटें जीतकर 16 साल बाद सरकार बना ली। इस जीत की एक वजह और थी, ब्राह्मण। हमने ऊपर बताया था कि एक ऐसा भी समय आया जब कांशीराम का नारा, ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ वाला गले की हड्डी बन गया था। तब मायावती ने नारा बदला, ‘हाथी नहीं गणेश है,ब्रह्मा विष्णु महेश है’।

नारा 5ः ‘जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है’

नारे की कहानीः साल 2012, चुनाव आए। सपा सरकार का ‘जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है’ नारा गूंजने लगा। चुनाव जीतने के बाद मुलायम ने बेटे अखिलेश को आगे किया।

अखिलेश एंड कंपनी ने नारा दिया, ‘गुंडा चढ़ गया हाथी पर, गोली मारी छाती पर’। इस तरह के नारों के चलते ही अखिलेश दोबारा सीएम नहीं बने।

नतीजा: जलवा कायम वाले नारे ने यूपी को दिल को छूआ। इस नारे ने यादव वोटर्स को सीधे रिझाया। गर्व का मौका दिया। नतीजा 224 सीटें।

नारा 6ः ‘न गुंडा राज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार’

नारे की कहानीः साल 2017, बदलाव की लहर। असल में 1989 के बाद कांग्रेस और 2002 के बाद भाजपा सत्ता में नहीं आई थी। बीजेपी ने इस बार एक ही नारे में सपा और कांग्रेस दोनों लपेट लिया, ‘न गुंडाराज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार’।

हालांकि उस वक्त ‘जीत की चाभी डिंपल भाभी’ और ‘यूपी की मजबूरी है, अखिलेश यादव जरूरी है’ जैसे मजेदार नारे सपा ने भी दिए थे। काम नहीं आए।

नतीजाः बीजेपी ने 312 सीटों के लैंड-स्लाइड विक्ट्री पाई। योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बन गए और केशव प्रसाद मौर्या डिप्टी सीएम।

नारा 7ः ‘मुख्यमंत्रीजी सोफे पे, डिप्टी सीएम स्टूल पे’

नारे की कहानीः साल 2022, ओम प्रकाश राजभर एक टीवी इंटरव्यू में बैठे थे। राजभर पहले योगी सरकार में मंत्री रहे हैं। बात चली बीजेपी सरकार में सभी को बराबर मौका देने की। वह अचानक से बोले क्या बराबरी। ‘मुख्यमंत्रीजी सोफे पे, डिप्टी सीएम स्टूल पे’ बैठते हैं।उन्होंने एक मीटिंग का हवाला देते हुए कहा कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को या तो स्टूल पर बिठाते हैं या फिर फाइवर की कुर्सी पर। उसके बाद से पूर्वांचल में ये बात नारे की तरह देखी जा रही है।

प्रलोभन देकर मतांतरण के खिलाफ बने कानून, पंजाब चुनाव के लिए जालंधर पहुंचे केजरीवाल ने की मांग

इसी तरह सपा का एक नारा है, ‘देखो बाबा जी का खेल हर क्षेत्र में हो गए फेल’। बीजेपी ने भी एक नारा दिया है, ‘जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे’।

नतीजाः 10 मार्च को।