असम-मेघालय सीमा समझौते पर अमल को लेकर अदालती पेच फंस सकता है। असम के वैष्णवों को यह समझौता मंजूर नहीं है। इसलिए असम सत्र महासभा (Asom Sattra Mahasabha) ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी दी है।
महासभा ने आरोप लगाया है कि उसके दो ‘सत्र’ (वैष्णव मठ) और 20 से ज्यादा ‘नामघर’ (प्रार्थना भवन) इस समझौते के कारण मेघालय में चले जाएंगे यह उसे मंजूर नहीं है। असम के वैष्णव मठ-मंदिरों के अग्रणी संगठन असम सत्र महासभा ने असम व मेघालय के बीच सीमा विवाद हल करने को लेकर मंजूर करार पर आपत्ति जताई है। दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच बीते 50 सालों से सीमा विवाद जारी है। इसे लेकर कई बार आंदोलन व झड़प भी हो चुकी है। हाल ही में दोनों राज्यों के मंत्रिमंडल ने इस करार को मंजूरी दी है।
बीते सप्ताह असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा व मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों की सिफारिशों से अवगत कराया था। इन समितियों ने 12 विवादित सीमा क्षेत्रों में से छह को विभाजित करने का सुझाव दिया है। समझौते पर अमल दोनों राज्यों के बीच लेन-देन यानी जमीनों की अदला-बदली के रूप में होगा। दोनों सीएम ने शाह से आग्रह किया कि केंद्र सरकार इस बारे में आवश्यक कदम उठाए, ताकि इन सिफारिशों पर अमल किया जा सके।
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36 वर्ग किलोमीटर जमीन विवादित
दोनों राज्यों के छह इलाकों की 36.79 वर्ग किलोमीटर जमीन विवादित है। असम के गिजांग, ताराबेरी, बोकलापाड़ा, खानपाड़ा-पिलिंगकाटा और रातछेर्रा को 18.28 वर्ग किमी जमीन मिलेगी, जबकि मेघालय को 18.28 वर्ग किमी।
मठ व नामघर मेघालय में नहीं जाने देंगे : महंत
एएसएम के महासचिव कुसुम कुमार महंत ने कहा है कि इस समझौते के कारण दो मठ व 20 नामघर, जो कि अभी असम का हिस्सा हैं, मेघालय को सौंप दिए जाएंगे। यह हमें मंजूर नहीं है। हम यह नहीं होने देंगे।