महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की ओर से सुपरमार्केट और किराने की दुकान में शराब की बिक्री की अनुमति मिलने के बाद शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने तर्क देते हुए कहा अगर शराब की बिक्री बढ़ती है, तो किसानों को इसका लाभ मिलेगा। हमने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए ऐसा किया है। भाजपा केवल विरोध करती है लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं करती है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने निर्णय लिया है कि अब राज्य के किराना स्टोर और सुपर मार्केट में भी शराब की बिक्री की इजाजत होगी। यह फैसला शराब की बिक्री से होने वाले राजस्व को बढ़ाने के लिए लिया गया है। सरकार के इस फैसले का विपक्षी भाजपा पुरजोर विरोध कर रही है। गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि सरकार 1000 वर्ग फुट से अधिक के सुपरमार्केट और किराना दुकानों में अलग काउंटर बनाकर शराब की बिक्री की अनुमति देगी। इस पर राकांपा प्रवक्ता और राज्य सरकार में मंत्री नवाब मलिक का कहना है कि राज्य में शराब बनाने की कई फैक्ट्रियां हैं राज्य सरकार ने यह फैसला शराब उत्पादकों की मदद के लिए ही लिया है।
देवेंद्र फडणवीस ने किया विरोध
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया और कहा कि महा विकास अघाड़ी सरकार ने कोरोना काल में किसानों, गरीबों और छोटे व्यापारियों के हित में एक भी फैसला नहीं लिया है। सरकार की प्राथमिकता सिर्फ और सिर्फ शराब है। सत्ता के नशे में चूर सरकार को भी गरीबों की थोड़ी मदद करनी चाहिए। फडणवीस ने ट्वीट किया, पेट्रोल-डीजल से सस्ती हुई शराब। शराबबंदी समाप्त होने के बाद शराब की बिक्री की अनुमति दी गई थी। महाराष्ट्र में शराब की बिक्री के लिए नए परमिट जारी किए गए। अब सुपरमार्केट और किराना दुकानों में भी शराब बेचने की अनुमति दी जा रही है। महाराष्ट्र को ‘मध्य राष्ट्र’ बनाने का यह तरीका हजम नहीं हो रहा है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर ने कहा कि यह सरकार किसानों की नहीं, शराब पीने वालों की देखभाल करने वाली है। सरकार को मंदिरों, शिक्षण संस्थानों और शिक्षकों की भी चिंता नहीं है। सरकार को नई पीढ़ी की बर्बादी की चिंता नहीं है। उसे केवल शराब बनाने वालों और इसे पीने वालों की परवाह है।
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क्या कहना है नवाब मलिक का
मंत्री नवाब मलिक ने जवाब दिया कि गोवा और हिमाचल प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसी व्यवस्था लागू है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को इसका विरोध केवल महाराष्ट्र में करना है।