कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में पत्रकारों के अपमान का मामला विधान सभा के सदन तक पहुंच गया है और शासन ने मंडलायुक्त और केडीए उपाध्यक्ष से जवाब मांग लिया है। सदन में सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने मामला उठाते हुए कहा कि जिस प्रकार से केडीए में पत्रकारों को अपमानित किया जा रहा उससे साफ है कि स्वतंत्रता के अधिकार का हनन हो रहा है। विधायक ने बताया कि शासन ने 30 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है।
केडीए के उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने बीते दिनों एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के संवाददाता को बाइट देने से मना करते हुए अपमानित किया था। इस पर पत्रकारों ने धरना दिया तो उपाध्यक्ष के इशारे पर कर्मचारी और अधिकारी लामबंद होकर पत्रकारों के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए चेतावनी दी थी कि अब केडीए परिसर में पत्रकारों को घुसने नहीं दिया जाएगा। मामला चौथे स्तंभ के अपमान का था तो सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने सदन में मामले को उठाते हुए कहा कि यह स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
विधायक ने बताया कि मीडिया की स्वतंत्रता के विषय में नियम-51 के तहत विधानसभा की कार्यवाही में मुद्दा उठाया है। सदन में कहा गया कि केडीए के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कई दिनों से पत्रकारों से बदसलूकी की जा रही है। यह सब केडीए उपाध्यक्ष के इशारे पर हो रहा है ताकि केडीए में भ्रष्टाचार का जो खेल खेला जा रहा वो बाहर तक न पहुंच पाये।
विधायक ने बताया कि सदन में अध्यक्ष ने मामले को सुना और स्वीकार करते हुए कार्रवाई के लिए सरकार को भेज दिया। शासन ने कानपुर के मंडलायुक्त डा. राजशेखर और केडीए उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह से जवाब मांगा है। सरकार, सदन को 30 दिन के अंदर घटना की जांच करके जवाब देगी।
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सवालों के घेरे में फंस गये केडीए कर्मचारी!
केडीए उपाध्यक्ष के इशारे पर कर्मचारियों ने बीते दिनों पत्रकारों के खिलाफ लामबंद होकर एलान किया था कि अब पत्रकारों को केडीए में घुसने नहीं दिया जाएगा। यह भी कहा गया था कि पत्रकार यहां पर हम लोगों से वसूली करते हैं। यही नहीं उपस्थित कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा था वसूली की बात सत्य है और अब वसूली नहीं देंगे। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया और लोग सवाल करने लगे कि बिना भ्रष्टाचार के कौन कर्मचारी या अधिकारी पत्रकारों को वसूली देंगे। लोग कमेंट करने लगे कि अभी तक केडीए में हो रहे भ्रष्टाचार को सुनते थे, लेकिन अब कर्मचारियों ने खुद स्वीकार कर लिया कि यहां पर दलाली और भ्रष्टाचार हो रहा है। वायरल वीडियो को लेकर हिन्दुस्थान समाचार ने ‘शर्मनाक : केडीए के भ्रष्ट कर्मचारी पत्रकारों को दे रहें वसूली!’ शीर्षक से खबर भी जारी की थी। हालांकि वायरल वीडियो की सच्चाई की पुष्टि हिन्दुस्थान समाचार नहीं करता, पर वीडियो में जिस तरह से कर्मचारियों ने पत्रकारों के विरोध में मुखर हुए और आपस में वार्ता की उससे साफ है कि केडीए में भ्रष्टाचार का जाल बहुत घना है। ऐसे में अब देखना होगा कि अपने बचाव में शासन को केडीए क्या जवाब देता है?