रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए सप्ताह भर चलने वाले कई कार्यक्रमों का सोमवार को उद्घाटन किया। उन्होंने एक आभासी प्रदर्शनी ‘पाथ टू प्राइड’, सार्वजनिक प्रदर्शनियों, क्यूरेटेड संग्रहालयों और रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के 75 प्रस्तावों को प्रदर्शित करने वाली एक पुस्तिका भी लॉन्च की। उन्होंने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता के लिए उन्हें अभी भी बहुत कुछ करना था। अब उनके अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने की हमारी जिम्मेदारी है।
राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता का क्या अर्थ है, इस पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता केवल प्राप्त करने या अर्जित करने की चीज नहीं है, यह बनाए रखने की भी चीज है, जिसके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। स्वतंत्रता एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक मार्ग है। एक संप्रभु राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता का अर्थ रक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित कोई भी निर्णय लेने की क्षमता है। किसी भी स्थिति में हम तभी कोई फैसला ले सकते हैं, जब हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हों। राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में स्वतंत्रता प्राप्त की लेकिन रक्षा क्षेत्र की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 2014 में सरकार के सत्ता में आने से पहले रक्षा क्षेत्र में निवेश, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास की कमी के कारण पिछड़ गया था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार रक्षा में आत्मनिर्भरता के महत्व को समझती है और इस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इस सरकार की नीतियों, दूरदर्शिता और मानसिकता के कारण रक्षा क्षेत्र ने एक नए युग में प्रवेश किया है। रक्षा मंत्री ने रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई नीतिगत सुधारों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह कदम ओएफबी को अधिक प्रभावी और कुशल बनाएगा और इसकी वास्तविक क्षमता को उजागर करेगा। राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा निर्यात में लगभग 90 प्रतिशत का योगदान देने के लिए निजी क्षेत्र को सराहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार और निजी क्षेत्र के बीच यह सक्रिय और निरंतर साझेदारी ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ को जल्द ही हासिल करने में मदद करेगी।
देश भर में 75 स्थानों पर रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू), गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) और वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीएक्यूए) द्वारा आयोजित सार्वजनिक प्रदर्शनियों का उद्घाटन भी वर्चुअल मोड के माध्यम से किया गया। देश में रक्षा निर्माण के सप्ताह के दौरान इन प्रदर्शनियों में स्वदेशी रक्षा उत्पादों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की जाएगी। प्रदर्शनी आम जनता को आधुनिक रक्षा हथियारों, हथियारों, गोला-बारूद और अन्य उपकरणों की एक झलक और इसके शीर्ष पर, राष्ट्रवाद की गर्व की भावना का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी।
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रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने कहा कि सप्ताह भर चलने वाले आयोजन लोगों को डीडीपी की उपलब्धियों, संकल्प और दूरदर्शिता से अवगत कराएंगे। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए बिना किसी समावेश के आगे बढ़ते रहने के संकल्प को दोहराया। इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, पूर्व सैनिक कल्याण के सचिव बी. आनंद, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) संजीव मित्तल और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।