सीडीएस रावत का उत्तराधिकारी खोजना केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती

बुधवार को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के आकस्मिक निधन के बाद केंद्र सरकार के सामने उनका उत्तराधिकारी खोजने की बड़ी चुनाैती है। सरकार को सीमा पर चीन और पाकिस्तान से पेश आने वाली सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द नए सीडीएस की नियुक्ति करनी होगी। इसीलिए दुर्घटना के चंद घंटों के बाद बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई।

सेना के तीनों अंगों थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अध्यक्षों से ऊपर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद सृजित करने की सिफारिश 1999 में कारगिल युद्ध के बाद की गई थी। दरअसल, 1999 के कारगिल युद्ध के तुरंत बाद गठित के. सुब्रह्मण्यम के नेतृत्व वाली कारगिल समीक्षा समिति (केआरसी) ने उन चूकों की जांच की थी, जिसकी वजह से पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की रणनीतिक ऊंचाइयों वाली बर्फीली पहाड़ियों पर कब्जा करने में कामयाबी हासिल की थी। समिति की सिफारिशों के बाद सीडीएस की नियुक्ति का समर्थन मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने भी किया था। इसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से सीडीएस का पद सृजित करने की घोषणा की थी।

केंद्र सरकार ने थलसेना अध्यक्ष पद से रिटायर होते ही देश के पहले सीडीएस के रूप में जनरल बिपिन रावत को 30 दिसंबर, 2019 को नियुक्त किया। जनरल रावत ने 01 जनवरी, 2020 को सीडीएस का पदभार ग्रहण किया। सीडीएस के पद को तीनों सेनाओं के बीच कामकाजी समन्वय बढ़ाने की दिशा में काम करने और जरूरत के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा देखने की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही रक्षा व सामरिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के महत्वपूर्ण सैन्य सलाहकार की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी भी दी गई। इसके अलावा केंद्र सरकार ने सीडीएस को तीनों सेनाओं को एकीकृत करके तीन नई कमांड बनाने और सैन्य सुधार करने की जिम्मेदारी सौंपी। तैयार किये गए रोडमैप के मुताबिक इन तीनों कमांड का नेतृत्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के हाथों में होगा।

चीन के साथ डेढ़ साल से चल रहे गतिरोध और पाकिस्तान से घुसपैठ के चलते सीडीएस के पद को लम्बे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता। जनरल रावत के निधन के बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी बन गए हैं। भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार दोनों उनसे लगभग दो साल जूनियर हैं। नरवणे अगले साल अप्रैल में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, लेकिन चीन और पाकिस्तान के साथ बदली हुई परिस्थितियों में ऐसा नहीं हो सकता है। सुरक्षा प्रतिष्ठानों में कई लोगों का मानना है कि सीडीएस की पहली दो या तीन नियुक्तियां सेना से होनी चाहिए, क्योंकि देश के सामने सुरक्षा चुनौतियां दो पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के साथ हैं।

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सेना की युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिए 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकातकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की सिफारिश के अनुसार सरकार को तीनों सेना प्रमुखों में से किसी एक वरिष्ठ का चयन सीडीएस के रूप में करना चाहिए। अगर सरकार 11 सदस्यीय इस समिति की सिफारिश पर अमल करती है तो नरवणे शीर्ष पद के लिए सबसे आगे होंगे। सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठता के सिद्धांत पर नरवणे को अगले सीडीएस के रूप में नामित किए जाने की प्रबल संभावना है। नरवणे को अगले सीडीएस के रूप में नामित किये जाने पर सेना प्रमुख का पद खाली हो जाएगा, इसलिए सरकार को जल्द ही नए सेना प्रमुख की नियुक्ति करनी होगी। सेना के मौजूदा उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती और उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी जनरल नरवणे के बाद सेना में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।