रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत ने बार-बार हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में खुद को ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ साबित किया है। भारत अपने सशस्त्र बलों के जरिये आईओआर क्षेत्र में आने वाले मित्र देशों की हर मुसीबत में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) में मदद करता रहता है। कई अनुसंधान से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण अभूतपूर्व आपदाओं के विनाशकारी परिणाम होंगे।
आपदा प्रबंधन पर विश्व कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हम एक चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक परिदृश्य में रहते हैं जहां देशों को प्राकृतिक आपदाओं सहित पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों का सामना करना पड़ता है। कोरोना जैसी महामारी ने पिछले दो वर्षों में कहर बरपाया है, जिसमें आपदा प्रबंधन ने मानव जीवन और संपत्ति की रक्षा की है। यह आपदा प्रबंधन भविष्य में गांवों एवं शहरों, स्कूलों और अस्पतालों, व्यवसायों और आजीविका की रक्षा करने के बारे में है। यह प्रकृति की शक्तियों को समझने, उनका सम्मान करने और उसके अनुसार तैयारी करने के बारे में है।
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उन्होंने कहा कि कई अनुसंधान धीमी शुरुआत के खतरों की ओर इशारा कर रहे हैं कि हिमनदों का पिघलना, समुद्र का स्तर बढ़ना, मरुस्थलीकरण और मिट्टी का लवणीकरण अभूतपूर्व आपदाओं की नई लहरें पैदा करने के लिए अपने चरम बिंदु तक पहुंच सकता है जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे। पिछले कुछ वर्षों में आपदाओं की कई गुना वृद्धि देखी गई है जिसमें से साठ प्रतिशत आपदाएं हिन्द महासागर क्षेत्र में होती हैं। अंतरिक्ष, संचार, जैव-इंजीनियरिंग, जैव-चिकित्सा के क्षेत्र में कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां उभर रही हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें भविष्य की आपदाओं को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे को सहयोग करना चाहिए।