उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी आक्रामक तौर पर प्रचार में जुटी है और वह राज्य के हर हिस्से में खुद को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए एसपी छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रही है और राज्य के ज्यादातर छोटे दलों के साथ एसपी का गठबंधन हो चुका है। अखिलेश ने पूर्वी यूपी में सुलेहदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है तो वहीं वेस्ट यूपी में आरएलडी के साथ गठबंधन अंतिम चरण में हैं और बताया जा रहा है कि जल्द ही दोनों ही दल आधिकारिक तौर पर गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं। चर्चा है कि जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी को पश्चिमी यूपी में 36 सीटें मिल सकती हैं जबकि दो से तीन सीटों पर आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर एसपी नेता चुनाव लड़ेंगे।
असल में पिछले दिनों ही जयंत चौधरी ने बयान दिया था कि वह सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे। जिसके बाद माना जा रहा था कि दोनों ही दलों में गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी इस महीने के अंत तक यूपी में सीटों के बंटवारे के फार्मूले की घोषणा कर सकते हैं। असल में आरएलडी 62 सीटों की मांग कर रही थी जबकि एसपी 30 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी। लेकिन अब दोनों ही दलों के बीच 36 सीटों पर बात बनी है और इस पर जल्द ही मुहर लग सकती है।
किसान आंदोलन से आरएलडी को आस
जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच लंबी बातचीत हुई है और जल्द ही सीटों के बंटवारे पर मुहर लग सकती है। दरअसल, राज्य में किसान आंदोलन के कारण आरएलडी को लग रहा है कि वह राज्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है और बगैर उसके समर्थन से कोई भी दल राज्य में सरकार नहीं बना सकेगा। आरएलडी के नेताओं का दावा है कि पार्टी मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर जैसे जिलों में मजबूत है। वहीं ब्रज क्षेत्र के बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा जैसे जिलों में आरएलडी की पकड़ है।
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मुस्लिम-जाट समीकरण पर फोकस
वहीं आरएलडी को वेस्ट यूपी की सीटों पर खुद को मजबूत मान रही है और उसे अपने जाट और मुस्लिम समीकरण पर पूरा विश्वास है। वहीं ब्रज के बड़े इलाके में समाजवादी पार्टी के साथ पार्टी के गठबंधन से उसे लाभ हो सकता है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में आरएलडी के वोट बैंक में सेंध लगाई थी और आरएलडी को महज एक सीट मिली थी।