14 अक्टूबर को 25 राज्य में धरना प्रदर्शन कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए किया जाएगा, रेलवे मेन्स यूनियन व विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा निजीकरण के विरोध में किये जा रहे आंदोलन को इप्सेफ ने दिया समर्थन
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री जी से पुनः आग्रह किया है कि इप्सेफ की मांगों पर मिल बैठकर सार्थक निर्णय कराएं। कर्मचारियों की पीड़ा को समझें।
बी पी मिश्रा ने नाराजगी जाहिर की कि सरकार कोविड 19 जैसी वैश्विक गंभीर बीमारी का इलाज करने में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, प्रयोगशाला सहायक, एक्स-रे टेक्निशियन, वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मचारी एवं अन्य तकनीकी कर्मचारियों की समस्याओं पर कोई भी ध्यान नहीं दे रही हैं। हजारों की तादाद में अपनी जान भी गंवा चुके हैं परिवार तबाह हो गया है अन्य विभागों के बड़ी संख्या में कर्मचारी संक्रमित हुए हैं हो रहे हैं और तादाद में दिवंगत भी हो गए हैं। ऐसे में मृत कर्मचारियों को 50 लाख रुपए की अनुग्रह धनराशि उनके आश्रित को नौकरी तथा देयो का भुगतान नहीं हो पाया है।
श्री प्रेमचंद्र ने चिंता व्यक्त की है कि रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नति या उत्तर प्रदेश सरकार के अलावा कहीं भी प्रारंभ नहीं की गई है ।जबकि सभी राज्य में कई लाख पद रिक्त पड़े हैं ।केंद्र सरकार में ही संभवत भर्ती प्रक्रिया रेलवे के अलावा अन्य विभागों में प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है उन्होंने दीपावली से पूर्व बोनस देने की मांग की है।
इप्सेफ के उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा, अशोक कुमार, डॉ के के सचान, राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा, मीडिया प्रभारी सुनील कुमार यादव ने कहा है कि सार्वजनिक निगमों अस्थाई निकायों एवं ऑटोनॉमस बॉडी तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के संवर्गो का पुनर्गठन कर के सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ नहीं मिला है। आंगनवाड़ी ,ठेका आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का भी शोषण बंद नहीं हो पाया है। केंद्र व राज्य सरकारे मौन हैं। इसी वजह से इप्सेफ द्वारा ध्यान आकर्षण हेतु आंदोलन किया जा रहा है।
इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि निजी करण की व्यवस्था को पूरी तौर से बंद करने की मांग की है। सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है जिससे मोनोपोली ना हो सके। वर्तमान में निजीकरण के विरोध में रेलवे मेन्स यूनियन व विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन को इप्सेफ की बैठक में समर्थन देने का निर्णय लिया गया साथ ही सरकार से यह भी मांग की कि आंदोलनरत संगठनों से वार्ता के माध्यम से हल निकाला जाए और यदि कोई दमनकारी नीति अपनाई जाती है तो इप्सेफ पूर्ण रूपेण भागीदारी करने के लिए बाध्य होगा । इप्सेफ ने कहा है कि रिक्रूटमेंट बोर्ड में राज्यों को भी शामिल किया जाए। अभी तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसे लागू करने की घोषणा की है जो स्वागत योग्य है। इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।