पंजाब विधानसभा में आज मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बयान पर अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक भड़क गए और सदन से बहिर्गमन कर गए।
मुख्यमंत्री द्वारा अकालियों को पंजाब का गद्दार कहने पर अकाली दल के सदस्यों ने सदन में नारेबाजी की और वेल में आ गए तथा बाद में सदन से वॉक आउट कर गए। मुख्यमंत्री चन्नी का आरोप था कि बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाए जाना केंद्र सरकार की नीति को दर्शाती है । उन्होंने कहा जब केंद्र की भाजपा सरकार ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म किया था और जम्मू कश्मीर राज्य से बेइंसाफी की थी, तभी से केंद्र की नीयत प्रकट होने लगी । मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र में जब से भाजपा की सरकार आई है, अकाली दल ने केंद्र के निर्णयों की पूर्ति ही की है।
उन्होंने कहा कि अकाली दल ने अपने राज में पंजाब को जी भर के लूटा। उन्होंने यह भी कहा कि अकाली दल हमेशा अपने वादों से मुकरता रहा है। वर्ष 1973 में अकाली दल ने आनंदपुर प्रस्ताव रखा लेकिन बाद में 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार आई और अकाली दल भी उसमें हिस्सेदार थे तो वह खुद ही खुदमुख्तारी की जगह अधिक अधिकारों पर आ गए । उन्होंने कहा कि अकाली दल जब सत्ता में होता है तब उसके पास मांगें गायब हो जाती हैं लेकिन जैसे ही वह सत्ता से बाहर होता है, मांगों के आधार पर माहौल खराब करता है । मुख्यमंत्री चन्नी ने अकाली दल पर पंजाब में आतंकवाद पैदा करने का और युवाओं को मरवाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने सदन में पंजाब में व्याप्त नशाखोरी के लिए अकाली दल के एक सदस्य का नाम भी लिया, जिस पर अकाली दल के सदस्य भड़क गए और नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए और फिर वाकआउट कर गए ।
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उधर, आम आदमी पार्टी के सदस्य मुख्यमंत्री से जवाब मांग रहे थे। आम आदमी पार्टी के सदस्यों का आरोप था कि पंजाब में बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़वाने में मुख्यमंत्री चन्नी ने भी प्रधानमंत्री के समक्ष अपनी मूक सहमति दी थी। आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने सदन में मुख्यमंत्री के ट्वीट पर जवाब नहीं मिलने पर अपनी नाराजगी जताई। आप सदस्यों ने भी सदन से वॉक आउट किया।