नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि उनकी गिरफ्तारी से तीन दिन पहले उन्हें नोटिस दी जानी चाहिए। इसके बाद हाईकोर्ट के जज नितीन जामदार व जज सारंग कोतवाल ने समीर वानखेड़े की याचिका खारिज कर दी।
समीर वानखेड़े ने लगाया था परेशान करने का आरोप
समीर वानखेड़े गुरुवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उन्हें महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की ओर से नाहक परेशान किया जा रहा है। क्रूज ड्रग पार्टी मामले में गवाह प्रभाकर साली के लगाए गए आरोपों की जांच एनसीबी की दक्षता समिति कर रही है। इसके बावजूद इस मामले में राज्य सरकार की ओर एसआईटी का गठन किया गया है और चार अलग-अलग मामले उनके विरुद्ध दर्ज किए गए हैं। समीर वानखेड़े ने कहा कि वे एनसीबी के जोनल डायरेक्टर हैं न कि कोई ड्रग पेडलर। साथ ही उन पर और उनके परिवार को हर दिन अलग-अलग झूठे आरोप लगाकर तंग किया जा रहा है। इसलिए हाईकोर्ट राज्य सरकार की ओर से दर्ज सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश जारी करे।
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इसके बाद सरकारी वकील ने बताया कि राज्य सरकार ने एनसीबी के गवाह की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एसीपी मिलिंद खेतले की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया है, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है। इस मामले में चार लोगों ने मुंबई के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में लिखित शिकायत दी है। इसके बाद जज ने कहा कि समीर वानखेड़े पर कठोर कार्रवाई मतलब गिरफ्तारी से तीन दिन पहले उन्हें नोटिस दिया जाए। इसके बाद हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े की याचिका को खारिज कर दिया।