भदोही की जनता को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर काफी उम्मीदें हैं। दुनिया में भदोही काली उद्योग के लिए जाना जाता है। यहां खूबसूरत बेल-बूटेदार कालीन का निर्माण होता है। योगी सरकार की ”एक जनपद-एक उत्पाद” योजना में कालीन उद्योग भी शामिल है। लेकिन करोड़ों का निर्यात करने वाला कालीन उद्योग विकास और उसकी उम्मीद को लेकर काफी पीछे है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भदोही आएंगे तो लोगों को क्या देंगे। क्या वह उम्मीदों की झोली भरकर जाएंगे या खाली रहेगी। भदोही जनपद का निर्माण हुए ढाई दशक से अधिक का वक्त बीत गया है। लेकिन आज भी मुद्दों की जमींन खाली है। यहां की जनता ने सियासत पर खूब भरोसा किया, लेकिन उसकी झोली में कुछ हाथ नहीं लगा। अब उम्मीदों पर योगी आदित्यनाथ कितने खरे उतरेंगे, यह देखना होगा। भदोही को लेकर जो आम लोगों की मांग है उस पर गौर करना होगा।
उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने राजकीय महाविद्यालय काशी नरेश पीजी कॉलेज को अभी तक विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल सका। जबकि इसके बाद स्थापित उत्तराखंड का कुमाऊं व गढ़वाल विश्वविद्यालय बन गया। दूसरी सबसे बड़ी समस्या जिला अस्पताल की है। जनपद निर्माण के ढाई दशक बाद भी जिला अस्पताल निर्माण की शुरू नहीं शुरू हुई। भ्रष्टाचार की वजह से वह अधर में लटक गई। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से देखा जाए तो यहां जिला अस्पताल सिर्फ रेफरल अस्पताल है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों के लिए इलाज की समुचित व्यवस्था, यहां उपलब्ध नहीं है। उस हालात में बीएचयू ट्रामा सेंटर तक जाते हुए घटना में घायल लोग दम तोड़ देते हैं।
भदोही के विकास पुरुष पंडित श्यामधर मिश्र के प्रयास से औराई में स्थापित चीनी मिल जंग की भेंट चढ़ गई। पूरे पूर्वांचल में ”दी काशी सहकारी चीनी मिल” अपने आप में अद्वितीय थी। मिल से गन्ना किसानों को बेहतरीन लाभ मिलता था। लेकिन जब से चीनी मिल बंद पड़ी है उसके कल पुर्जों को जंग और दीमक चट कर गए हैं। मिल से जुड़े लोग बेरोजगार हो गए। किसानों ने गन्ना की खेती करना ही बंद कर दिया। अनगिनत सरकारें बदली लेकिन चीनी मिल चालू नहीं हो सकी।
मुख्यमंत्री योगीनाथ अपने भदोही आगमन में औराई चीनी मिल में जैविक ईधन संयंत्र लगाने की बात कही थी। लेकिन वह मुद्दा आगे नहीं बढ़ सका। इस मुद्दे पर भदोही के पूर्व समाजवादी विधायक आहिद जमाल बेग ने निशाना भी साधा है। उन्होंने कहा कि 1200 सौ करोड़ की लागत से फ्यूल प्लांट स्थापित करने की बात कही गई थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। भदोही में गजिया ब्रिज का निर्माण नहीं हो सका। कालीन एक्सपो मार्ट में मेले का आयोजन नहीं हो सका। समाजवादी पार्टी के दौरान जो विकास कार्य हुए थे उसके आगे कुछ नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री का दौरा सिर्फ चुनावी राजनीति है।
औराई के उगापुर में स्थापित अंग्रेजों के जमाने की हवाई पट्टी की मांग सालों से चली आ रही है। लेकिन आज तक उगापुर को हवाई पट्टी नहीं बनाया जा सका। जबकि भदोही से 5000 करोड़ से अधिक सालाना कालीन का निर्यात किया जाता है। हर साल सैकड़ों की संख्या में विदेशी खरीदार भदोही आते हैं। उगापुर में एयरपोर्ट का निर्माण कर दिया जाए तो भदोही के कालीन उद्योग के लिए बेहतर संजीवनी मिल जाएगी। फिलहाल मुद्दे जमीन और झोली दोनों खाली हैं देखना है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विकास परियोजनाओं पर क्या कुछ देकर जाते हैं।