बहुचर्चित रंजीत सिंह हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को गुरमीत राम रहीम सहित 5 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई। हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट के जज डॉक्टर सुशील कुमार गर्ग ने रंजीत सिंह हत्याकांड मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम सहित 5 दोषियों को सजा सुनाई। मामले में मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम को सीबीआई की विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में अन्य दोषी कृष्ण, सबदिल, जसवीर और अवतार को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 19 साल बाद मृतक रंजीत सिंह के परिवार को इंसाफ मिला। कोर्ट ने राम रहीम पर 31 लाख का जुर्माना लगाया जबकि अन्य सभी दोषियों पर पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।12 अक्टूबर को कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील की मांग पर 18 अक्टूबर का समय दे दिया था।
रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है राम रहीम
रंजीत सिंह की हत्या के मामले में डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआई कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के मार्फत पेश किया गया। अन्य आरोपितों कृष्ण लाल, अवतार, सबदिल और जसबीर प्रत्यक्ष रूप से पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश किये गए।
कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस व अर्ध सैनिक बल तैनात था। इससे पहले पांचों दोषियों को सीबीआई कोर्ट द्वारा रंजीत हत्याकांड मामले में दोषी करार दिया जा चुका है। इनकी सजा का ऐलान 12 अक्टूबर को किया जाना था लेकिन बचाव पक्ष की ओर से जजमेंट पूरी तरह से ना पढ़ पाने की वजह से 12 अक्टूबर की सुनवाई टाल दी गई थी। करीब 19 साल तक चली अदालती कार्यवाही के दौरान कुल 250 बार इस केस में सुनवाई हुई और 61 लोगों की गवाही हुई।
10 जुलाई, 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रंजीत सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में सीबीआई द्वारा कुल छह आरोपित बनाए गए। उनमें गुरमीत राम रहीम के अलावा सबदिल, जसवीर, अवतार, कृष्ण लाल तथा इंद्रसेन थे। इंद्रसेन की पिछले साल मौत हो चुकी है। पांचवा आरोपित कृष्ण लाल पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में सजा काट रहा है। छठा व मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम है, जो पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वी यौन शोषण मामले में सजा काट रहा है।
सीबीआई कोर्ट ने डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम और कृष्ण कुमार को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत दोषी करार दिया था। अवतार, जसवीर, सबदिल को भी अदालत ने धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षडयंत्र रचना) तथा आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया था।
राम रहीम साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में जेल में ही है। 27 अगस्त, 2017 को दो साध्वियों से दुष्कर्म के जुर्म में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। तब से वह रोहतक की सुनारिया जेल में है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में 16 साल बाद 2019 में उम्रकैद की सजा हुई। डेरे के साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का मामला भी सीबीआई कोर्ट में चल रहा है।
हाईकोर्ट के जज ने भी खुद को सुनवाई से हटाया था
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने केस में खुद को सुनवाई से हटा लिया था। जस्टिस ने कारण देते हुए कहा था कि वर्ष 1986-88 में रंजीत सिंह और उसके पिता सरपंच जोगिंदर सिंह की तरफ से वे दो सिविल मामलों की कुरुक्षेत्र कोर्ट में पैरवी कर चुके हैं। ऐसे में वे इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहते हैं। जस्टिस सांगवान ने मामले की सुनवाई किसी अन्य बेंच को करवाने के लिए केस चीफ जस्टिस को भेज दिया था।
जांच एजेंसियां अलर्ट
रंजीत सिंह हत्याकांड में सजा के ऐलान को लेकर आज पुलिस, सीआईडी, आईबी सहित सभी जांच एजेंसियों की तरफ से पंचकूला के चप्पे चप्पे पर नजर रखी जा रही थी। पुलिस ने 17 नाके लगाकर शहर की सुरक्षा में 700 जवानों को तैनात किया था। जिला अदालत के बाहर भी पुलिस के जवान बड़ी संख्या में तैनात रहे। सोमवार को को आने वाले फैसले के मद्देनजर पंचकूला में जहां सीबीआई कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाई गई थी, वहीं कोर्ट की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर नाकेबंदी की गई थी।
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इसके पहले डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त, 2017 को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था। जब उसे दोषी करार दिया गया था, तो हरियाणा और राजस्थान में भड़की हिंसा में 33 लोगों की मौत हुई थी। हिंसा के दौरान सरकारी एवं निजी संपत्ति काे भी काफी नुकसान हुआ था। 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। पंचकूला में 100 से अधिक वाहन आग के हवाले कर दिए गए थे।
यह था पूरा मामला
डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे और कुरुक्षेत्र जिले के खानपुर कोलिया गांव के रहने वाले रंजीत सिंह की 10 जुलाई, 2002 को हत्या हुई थी। वह अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में कामगारों को चाय पिलाकर वापस घर जा रहे थे। हत्यारों ने अपनी गाड़ी जीटी रोड पर खड़ी रखी और वे धीरे से खेत से आ रहे रंजीत सिंह के पास पहुंचे और काफी नजदीक से उन्हें गोलियों से छलनी कर फरार हो गए। सिरसा डेरे के प्रबंधन को यह शक था कि साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी रंजीत सिंह ने अपनी बहन से लिखवाई थी। पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर रंजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग के लिए याचिका दायर की थी। तब सीबीआई ने जांच के बाद आरोपितों पर केस दर्ज किया था और 2007 में चार्ज फ्रेम किए थे। मामले का मुख्य आरोपित गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में है, जो दो साध्वियों के यौन शोषण के जुर्म में 20 साल की सजा और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा है।