आल इंडिया कौमी तंज़ीम के सदस्य और अधिवक्ता हकीम अयाजुद्दीन हाशमी ने मंगलवार को मीडिया को दिए एक बयान में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के ट्रिब्यूनल में जजों की नियुक्ति को लेकर जो टिप्पणी की है, वह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है। आज भी हमारी अदालतों में ऐसे सम्मानित जज हैं जो देश के लोकतंत्र और उसके अस्तित्व के लिए चिंतित हैं।
मोदी सरकार न्यायपालिका को लेकर लचर
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद देश के इतिहास में पहली बार जजों ने आगे आकर प्रेस कांफ्रेंस की और लोकतंत्र के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की। साथ ही उन्होंने कहा कि कई बार लोग अदालतों के फैसले से सहमत नहीं होते हैं लेकिन यह हमारे देश का गुण है कि असहमति के बावजूद लोग संविधान के दायरे में अदालत के फैसलों और उनकी कमियों की आलोचना करते हैं। एडवोकेट हकीम अयाज हाशमी ने कहा कि जिस तरह से मोदी सरकार न्यायपालिका को लेकर लचर है, उससे यह संदेश जाता है कि हमारी सरकार न्यायपालिका के मामले में गंभीर नहीं है।
एडवोकेट हाशमी ने कहा कि लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के साथ-साथ अधिक वकालत की शिक्षा से लैस किया जाना चाहिए क्योंकि एआई अगले वर्षों में और भी महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारे देश में कुछ शरारती तत्व कानून को अपने हाथ में लेते हैं और लिंचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, ऐसे माहौल में जरूरी है कि हम कानून पर वर्कशॉप का आयोजन करें और मदरसों के लोगों से भी अपील की कि अपने बच्चों को और अधिक कानून के बारे में बताएं और सिखाएं।
यह भी पढ़ें: राम नगरी पहुंचने से पहले ओवैसी ने भरी हुंकार, भागवत पर किया तीखा पलटवार
उन्होंने आगे कहा कि यदि संभव हो तो संविधान पर एक अध्याय तैयार करके इसके आवश्यक बिंदुओं को मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए ताकि बच्चों को भारत के संविधान के साथ-साथ कानून के बारे में पूरी जानकारी हो या पूरे संविधान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि कुछ वर्षों में बच्चों को कानून का पूरा ज्ञान दिया जा सके।