लखनऊ। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा संस्कृत दिवस पर रविवार 22 अगस्त को श्री बाबा नीब करौरी वेद विद्यालय हनुमान सेतु लखनऊ में सुबह 5 बजे से पूर्णिमा संस्कृत दिवस मनाया गया। इसमें वैदिक विप्रजनों ने विधि स्नान के साथ श्रावणी उपाकर्म और ऋषि पूजन किया। उसके बाद सुबह 9:30 बजे से वेद विद्यालय के आचार्य गोविन्द कुमार शर्मा, शिवमूरत तिवारी और उमेश पाठक ने सभी वैदिक बटुकों के साथ शुक्ल यजुर्वेद एवं सामवेद का पारायण किया। वेद परायण का प्रारम्भ प्राचार्य डॉ.चन्द्रकान्त द्विवेदी ने सभी वैदिकों को चन्दन अक्षत और पुष्प माला पहनाकर किया। दोपहर 2 बजे से विद्यालय परिसर में सभी आचार्यों और छात्रों ने सामूहिक पार्थिवेश्वर पूजन रुद्राभिषेक विधिविधान से किया गया।

प्राचार्य डॉ.चन्द्रकान्त द्विवेदी ने बताया कि श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन, ऋषियों के स्मरण और नमन का पर्व है। वैदिक साहित्य में इसे श्रावणी कहा गया है। इसी दिन गुरुकुलों में वेदाध्ययन कराने से पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। इसे उपनयन या उपाकर्म संस्कार कहा जाता हैं। ऋषि पर्व के दिन पुराना यज्ञोपवीत बदला जाता है। ब्राह्मण यजमानों को रक्षासूत्र भी बांधते हैं। साल 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। श्रावण पूर्णिमा से ही प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। उसके अनुसार पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था।
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